हर इंसान चहेता है,
जो माल खिलाये |
हर वो भैंस दुलारी है,
जो दूध पिलाये ||
साहब तो मगरूर है | दुनिया का दस्तूर है ||
मुर्गी है तो अंडा दे--
मुर्गा-बकरा कट जाये |किन्तु नहीं कुछ पल्ले तो-
हट जाये, बस हट जाये--
पद के मद में चूर है | दुनिया का दस्तूर है ||
बात कही भरपूर है
ReplyDeleteपरफ़ैक्शन की दिल्ली
अभी दूर है, अभी दूर है।
बहुत बहुत आभार |
ReplyDeleteदर्शन पाकर धन्य हुआ ||
हम भ्रष्टों के ,भ्रष्ट हमारे ,
ReplyDeleteक्या कर लेंगें राम दुलारे !
बहुत बहुत आभार |
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