Actor Sanjay Dutt gets 30-day parole reason wife unwell but is she unwell
SM  
संजय की मान्यता पर, दुनिया करे बवाल | 
देखो अब धृतराष्ट्र का, आँखों देखा हाल | 
आँखों देखा हाल, जब्त ए के सैतालिस | 
सैतालिस से राष्ट्र,  कर रहा मक्खन-पॉलिश | 
सैंया भे कुतवाल, बात फिर कैसे भय की | 
किये बाप ने पुण्य, जमानत हो संजय की |  
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रविकर करो सफ़ेद, कलेजा अपना काला-
पाला पड़ता इस कदर, पौधा दिया गलाय | 
उनके पाले जो पड़े,  *पालागन कर जाय | 
*पैर लगना, नमस्कार करना  
*पालागन कर जाय, अन्यथा बच ना पाये | 
जाय चांदनी जीत, धूप को मौसम खाये |  
रविकर करो सफ़ेद, कलेजा अपना काला | 
मकु होवे नरमेध, सोच गर कुत्सित पाला || 
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काजी तो सठिया गया, कहे उच्चतम सृंग-
माननीय उच्चत्तम न्यायालय का  
जस्टिस गांगुली यौन शोषण प्रकरण में निर्णय! एक असहाय स्थिति। ![]() Swatantra Vichar पर Rajeeva Khandelwal - काजी तो सठिया गया, कहे उच्चतम सृंग | 
अपने बस में अब नहीं, पा'जी गंगू भृंग | 
 पा'जी गंगू भृंग, कुसुम कलिकाएँ चूसा | 
ना आशा ना तेज, नहीं तो भरता भूसा | 
रविकर है निरुपाय, अगर दोनों है राजी | 
कलिका सुने पुकार, पुकारे जब भी काजी | 
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१६ दिसम्बर क्रान्ति
Vikesh Badola  
कौंधे तीखे प्रश्न क्यूँ, क्यूँ कहते हो व्यर्थ | जीवन के अपने रहे, सदा रहेंगे अर्थ | सदा रहेंगे अर्थ, रहेगी मनुज मान्यता | बने अन्यथा देव, यही है मित्र सत्यता | सदाचार है शेष, अन्यथा गिरते औन्धे | वह सोलह की रात, आज भी अक्सर कौंधे ||  | 
 
व्यर्थ रेप कानून, कहे इत खुल्लम खुल्ला-
महिलाओं से इतना डर क्यों 
![]() फारुख अब्दुल्ला साहब अपना दुःख बयां कर रहे हैं, कि महिलाओं से इतना डर लगने लगा है कि उन्हें पीए बनाने से पहले भी सोचें ... शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav अब्दुल्ला दीवानगी, देख बानगी एक | 
करे खिलाफत किन्तु फिर, देता माथा टेक | 
देता माथा टेक, नेक बन्दा है वैसे | 
किन्तु तरुण घबराय, लिफ्ट की लिप्सा जैसे | 
व्यर्थ रेप कानून, कहे इत खुल्लम खुल्ला | 
उसका राज्य विशेष, जानता उत अब्दुल्ला || 
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कालों को मारा किया, दुःख दुर्दशा अतीव ।  
दुःख दुर्दशा अतीव, नींव के अनगढ़ पत्थर । 
चोट खाय वे मनुज, बैठ जाते थे थककर । 
दिला दिया सम्मान, हिलाया देश अकेला ।  
आया गाँधी एक, जियो नेल्सन मंडेला ॥ 
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बहुत सुंदर.
ReplyDeleteसुंदर टिप्पणियाँ सुंदर चर्चा !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-12-2013) को "जब तुम नही होते हो..." (चर्चा मंच : अंक-1455) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ReplyDeleteSwatantra Vichar पर
Rajeeva Khandelwal -
काजी तो सठिया गया, कहे उच्चतम सृंग |
अपने बस में अब नहीं, पा'जी गंगू भृंग |
पा'जी गंगू भृंग, कुसुम कलिकाएँ चूसा |
ना आशा ना तेज, नहीं तो भरता भूसा |
रविकर है निरुपाय, अगर दोनों है राजी |
कलिका सुने पुकार, पुकारे जब भी काजी |
प्रखर टिप्पणियाँ हैं लिख्खाड़ पर।
ReplyDeleteआँखों देखा हाल, जब्त ए के सैतालिस |
सैतालिस से राष्ट्र, कर रहा मक्खन-पॉलिश |
रविकर के अंदाज़ बहुत हैं आज निराले ,
बूट पालिश भी किसी से आज करा ले .
अच्छे सूत्र व प्रस्तुति , आदरणीय को धन्यवाद
ReplyDelete॥ जै श्री हरि: ॥
ReplyDeleteकाजी तो सठिया गया, कहे उच्चतम सृंग |
अपने बस में अब नहीं, पा'जी गंगू भृंग |
बहुत सुन्दर रचना। बढ़िया कटाक्ष।
बढिया ...
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