हमाहमी हरहा हिये, लिये जाति-च्युत होय |
ऐसी अवसरवादिता, देती साख डुबोय |
देती साख डुबोय, प्रबंधन कौशल भारी |
बेंचे धर्म-इमान, ख़रीदे कुल मुख्तारी |
रविकर जाने मर्म, आप की जाने महिमा |
आम आदमी तंग, वक्त भी सहमा सहमा ||
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अब आप के कर्णधारों को सोचना चाहिए
pramod joshi
बानी है धमकी भरी, खफा खफा सरकार |
सुनी तनिक खोटी-खरी, धरने को तैयार |
धरने को तैयार, हमेशा टाँग अड़ाएं |
करते रहे प्रचार, किन्तु अब मुँह की खाएं |
वाह केजरीवाल, नहीं है तेरी सानी |
नहीं गले अब दाल, चलो दे दो कुर्बानी ||
सदियों से चम्पी करे, पंजे नोचें बाल |
कंघी बेंचे वह धड़ा, गंजे करें सवाल |
गंजे करें सवाल, नया हेयर कट पाया |
हर दिन अति उम्मीद, दीप नित नया जलाया |
यह गंजों का देश, राज सत्ता को कोसे |
दीन हीन के क्लेश, रहे यूँ ही सदियों से ||
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कब कहाँ कैसे बदलता है आदमीtarun_kt Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.." अधजल गगरी छलकती, जन-गण मन छल जाय | बजे घना थोथा चना, पाप घड़ा मुस्काय | पाप घड़ा मुस्काय, खाय अभिलाषा सारी | शुरू वही व्यवसाय, वही आई बीमारी | अंधे हाथ बटेर, करे चौपट यह नगरी |
तू डाल डाल मैं पात, आप की अधजल गगरी ||
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सतीश सक्सेना मेरे गीत ! उल्लू के पट्ठे लड़ें, अब से युद्ध तमाम | ताम-झाम हर-मंच का, देता यह पैगाम | देता यह पैगाम, चमचई आदर पाये | बनते बिगड़े काम, चरण-चुम्बन गर आये | रविकर घोंचू-मूर्ख, धरे पानी इक चुल्लू | डूबे अवसर पाय, बड़ा ही अहमक उल्लू || |
सड़क छाप हैं आप के, रविकर क्रिया-कलाप |
मुतवा देते सड़क पर, क्यूँ मंत्री जी आप |
क्यूँ मंत्री जी आप, कहाँ थे महिला दस्ता |
घुसते रात-विरात, रोक महिला का रस्ता |
बहुत हुआ उत्पात, रात दिन करते हड़बड़ |
करिये तनिक सुधार, अन्यथा जाओगे सड़ ||
"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-34
दोहा
मेटे दारिद दारिका, भेंटे दुर्गा मातु ।
सुता पुत्र पति पालती, रख अक्षुण्ण अहिवातु ॥
मुखड़े पर जो तेज है, रखिये सदा सहेज ।
षोडशभुजा विराजिये, कंकड़ की शुभ-सेज ।
पहन काँच की चूड़ियाँ, बेंट काठ की थाम ।
लोहा लेने चल पड़ी, शस्त्र चला अविराम ॥
छुई-मुई अबला नहीं, नहीं निराला-कोटि ।
कोटि कोटि कर खेलते, बना शैल की गोटि ॥
हाव-भाव संतुष्टि के, ईंटा पत्थर खाय ।
कुल्ला कर आराम से, पानी पिए अघाय ।
रोला
पानी पिए अघाय, परिश्रम हाड़तोड़ कर ।
गैंता तसला हाथ, प्रभावित करते रविकर ।
थक कर होय निढाल, ढाल के संरचनाएं |
पाले घर-संसार, आज माँयें जग माँयें ||
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बढ़िया सूत्र प्रस्तुति , आदरणीय धन्यवाद
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi
,बेहतरीन प्रस्तुति...!
ReplyDeleteRECENT POST -: आप इतना यहाँ पर न इतराइये.
,बेहतरीन प्रस्तुति...!
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