बहना बह ना भाव में, हवा बहे प्रतिकूल |
दिग्गज अपने दाँव में, दिखे झोंकते धूल |
दिखे झोंकते धूल, आँख में भरकर पानी |
तोड़े कई उसूल, किये अब तक मनमानी |
ले राहुल आलम्ब, सदा सत्ता में रहना |
दिखलाते नित दम्भ, संभलना छोटी बहना -
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09 DECEMBER, 2013
सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना -
कुंडलियां
लेना देना जब नहीं, करे तंत्र को बांस |
लोकसभा में आप की, मानो सीट पचास |
मानो सीट पचास, इलेक्शन होय दुबारे |
करके अरबों नाश, आम पब्लिक को मारे |
अड़ियल टट्टू आप, अकेले नैया खेना |
सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना ||
रैन बसेरे में बसे, मिले नहीं पर आप |
आम मिला इमली मिली, रहे अभी तक काँप |
रहे अभी तक काँप, रात थी बड़ी भयानक |
होते वायदे झूठ, गलत लिख गया कथानक |
पड़े शीत की मार, आप ही मालिक मेरे |
तनिक दीजिये ध्यान, सुधारें रैन बसेरे ||
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मोहग्रस्त नारद बनाम बन्दर मीडियाPAWAN VIJAY 'दि वेस्टर्न विंड' (pachhua pawan) चले रिपोर्टिंग छोड़कर, पॉलिटिक्स के द्वार | आशुतोष संतोष बिन, सम्भावना अपार | सम्भावना अपार, आप आपे से बाहर | आपा बढ़ता जाय, कहाँ अब मोदी घर घर | चाहे डूबे देश, आप की खातिर वोटिंग | जुटा मीडिया देख, रात दिन चले रिपोर्टिंग || रविकर लंगड़ी मार, ख़िलाड़ी नहीं गिराओ -
(१)
आओ जब मैदान में, समझ बूझ हालात |
मजे मजे मजमा जमे, जमघट जबर जमात |
जमघट जबर जमात, आप करिये तैयारी |
क़ाबलियत कर सिद्ध, निभाओ जिम्मेदारी |
रविकर लंगड़ी मार, ख़िलाड़ी नहीं गिराओ |
अहंकार व्यवहार, बाज बड़बोले आओ ||
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पहले तल्ले के लिए, नहीं नींव मजबूत ।
दूजे तल्ले के पिलर, आप करे आहूत ।
आप करे आहूत, हड़बड़ी पूर्ण कार्य है ।
घूरें घर यमदूत, घूरता अघ-अनार्य है ।
माना दिल्ली दाँव, पड़े नहले पे दहले ।
बिन अनुभव ईमान, ढहाए भवन रुपहले ॥
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आपका लाजवाब अंदाज़ लिखने का ...
ReplyDeletegazab.........
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुंदर अंदाज.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया-
ReplyDeleteआ० बढ़िया लिंक्स व प्रस्तुति , धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (10-01-2014) को "चली लांघने सप्त सिन्धु मैं" (चर्चा मंच:अंक 1488) में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'