हाजिर हूँ हुजूर -रविकर
एक-दो दिन में नियमित हो जाऊँगा -
(१)
मैय्यत में भी न मिलें, अब तो कंधे चार |
खुद से खुद को ढो रही, लागे लाश कहार ||
(२)
नया वर्ष आसन्न है, कटे आप के क्लेश |
जैजैवन्ती है शुरू, जाय भाड़ में देश ||
(३)
सा'रे गा'मा पा'दते, धा'नी हिलती देख |
रे'गा सा'मा'धा'न सब, ना पा'रे संरेख ||
(४)
आप भला तो जग भला, देख आप आलाप |
सब्ज बाग़ दिखला रहे, चालू क्रिया-कलाप ||
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दोनों हाथ लुटाइये, मिली 'आप' को छूट-
सत्ता फिर फिर पाइये, कुछ लोगों को लूट |
दोनों हाथ लुटाइये, मिली 'आप' को छूट |
मिली 'आप' को छूट, आय कर जलकर *हर कर |
इधर खून के घूँट, उधर जल छह सौ लीटर |
बिजली सस्ती बाँट, बाँट उत बहुविधि भत्ता |
रखे ध्यान मतदान, बड़ी उपदानी सत्ता ||
उपदान=सब्सिडी
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आज केजरीवाल, भरे शीला घर पानी
पानी मुफ्त पिलाइये, बिजली आधे दाम ।
आम आदमी खुश हुआ, मुँह में लगी हराम ।
मुँह में लगी हराम, आप तो नित जुगाड़ में ।
चाहे फिर कश्मीर, देश भी जाय भाड़ में।
मुफ्त मुफ्त की लूट, हुई जनता दीवानी ।
आज केजरीवाल, भरे शीला घर पानी ॥
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आगे पीछे सिरफिरे, फिरे नहीं इस बार-
फूली फूली फिर फिरे, धनिया बीच बजार ।
आगे पीछे सिरफिरे, फिरे नहीं इस बार ।
फिरे नहीं इस बार, धार कानूनी तीखी ।
लें व्यवहार सुधार, सोच भी साधु सरीखी।
रविकर रहे सचेत, करे ना हुक्म-उदूली।
कई धुरंधर खेत, देखकर धनिया फूली ॥
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आम हुवे *आमात्य कुल, ख़ास काढ़ते खीस-
अच्छा-खासा वर्ष यह, गत वर्षों से बीस |
आम हुवे *आमात्य कुल, ख़ास काढ़ते खीस |
*मंत्री
ख़ास काढ़ते खीस, देख ईश्वर की सत्ता |
बिन उनके आशीष, हिले ना जग में पत्ता |
हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
हों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||
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वाह बहुत सुंदर !
ReplyDeleteजोरदार प्रस्तुति। समसामयिक दोहे..
ReplyDeleteखूब शानदार
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