Monday 20 January 2014

गोली मारो पुलिस को, नहीं कटाओ नाक-


दिल्ली पुलिस की सुरक्षा

Bamulahija dot Com 






गोली मारो पुलिस को, नहीं कटाओ नाक |
धाक जमाने को गिरे, आप गिरेबाँ झाँक  |

आप गिरेबाँ झाँक, अराजक सोच दीखती |
नक्सल सा आतंक, मचाना आप सीखती |

फेल हुई सरकार, विपक्षी जैसी बोली |
धरना कारोबार, शुरू है देना गोली || 
था विपक्ष में बैठना, पर सी एम् बन जाय |
आदत सीधे जाय ना, देता धरना आय ||

नौकरशाही भ्रष्ट कह, कहे नौकरी छोड़ |
फोर्ड सैलरी की मची, आज आप में होड़ ||

चला ठीकरा फोड़ने, ठीक-ठाक रणनीति |
राजनीति चमका रहा, छोड़ पुरानी रीति ||

खड़ा करेगा देश को, रविकर अंधे मोड़ |
नीति-नियम सब छोड़ के, नगर ग्राम कुल तोड़ ||

है सुधार में धार पर, किन्तु कहाँ सरकार |
कहीं दांव उल्टा पड़ा, रविकर जाय सिधार ||

दारु दाराधीन पी, हुआ नदारद मर्द-


"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-34

दोहा

दारु दाराधीन पी, हुआ नदारद मर्द  |
दारा दारमदार ले, मर्दे गिट्टी गर्द ||

कंकरेत कंकर रहित, काष्ठ विहीन कुदाल |
बिन भार्या के भवन सम, मन में सदा मलाल ||

अड़ा खड़ा मुखड़ा जड़ा, उखड़ा धड़ा मलीन |
लीन कर्म में उद्यमी, कभी दिखे ना दीन ||

*कृतिकर-शेखी शैल सी, सज्जन-पथ अवरुद्ध |
करे कोटिश: गिट्टियां, हो *षोडशभुज क्रुद्ध ||

दाराधीन=स्त्री के वशीभूत
कृतिकर=बीस भुजा वाला
षोडशभुज=सोलह भुजाओं वाली

होवे पुलिस अधीन, जाय क्यूँ अलग कमाई
माई-मामा मारते, मजा यहाँ हरवक्त |
पुलिस उगाही में जुटी, बा-शिंदे के भक्त |

बा-शिंदे के भक्त, आपका गर बन पाये |
पाया बँगला कार, मजा दुगुना हो जाये  |

छुटभैये बड़वार, दलाली तब चमकाई |
होवे पुलिस अधीन, जाय क्यूँ अलग कमाई --

धड़'ना है बेताल धुर, चढ़ा केजरी पीठ

विक्रम और बेताल
धड़'ना है बेताल धुर, चढ़ा केजरी पीठ |
बोले जब ईमान से, चढ़े पेड़ पर ढीठ |

चढ़े पेड़ पर ढीठ, मीठ यह सोम सुरा है |
आ-भूषण बिड़लाल, हाथ में लिए छुरा है |

आप बाप की बात,  बीच में बच्चू पड़ ना |
खींचे बहुत कबंध, निकलता लेकिन धड़ ना || 

खतरे से खिलवाड़ पर, कारण दिखे अनेक-

MONDAY, 13 JANUARY 2014


रविकर ले हित-साध, आप मत डर खतरे से-

खतरे से खिलवाड़ पर, कारण दिखे अनेक |
थूक थूक कर चाटना, घुटने देना टेक |

घुटने देना टेक, अगर हो जाए हमला |
होवे आप शहीद, जुबाँ पर जालिम जुमला |

भाजप का अपराध, उसी पर कालिख लेसे |
रविकर ले हित-साध, आप मत डर खतरे से ||


बानी है धमकी भरी, खफा खफा सरकार-

अब आप के कर्णधारों को सोचना चाहिए

pramod joshi 







बानी है धमकी भरी, खफा खफा सरकार |
सुनी तनिक खोटी-खरी, धरने को तैयार |

धरने को तैयार, हमेशा टाँग अड़ाएं |
करते रहे प्रचार, किन्तु अब मुँह की खाएं |

वाह केजरीवाल, नहीं है तेरी सानी |
नहीं गले अब दाल, चलो दे दो कुर्बानी ||


*बोड़ा निगले जिंदगी, हिंदी हुई अनाथ-


चिंदी-चिंदी तन-बदन, पांच मरे इक साथ । 
*बोड़ा निगले जिंदगी, हिंदी हुई अनाथ ॥ 
*अजगर 

हिंदी हुई अनाथ, असम-पथ ऊबड़-खाबड़ । 
है सत्ता कमजोर, धूर्त आतंकी धाकड़ । 

हिंदी-भाषी पाय, बना माथे पर बिंदी । 
अपने रहे निकाल, यहाँ हिंदी की चिंदी ।।  

1 comment:

  1. आ० बढ़िया सूत्र संकलन व प्रस्तुति , धन्यवाद

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