धाक जमाने को गिरे, आप गिरेबाँ झाँक |
आप गिरेबाँ झाँक, अराजक सोच दीखती |
नक्सल सा आतंक, मचाना आप सीखती |
फेल हुई सरकार, विपक्षी जैसी बोली |
धरना कारोबार, शुरू है देना गोली ||
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था विपक्ष में बैठना, पर सी एम् बन जाय |
आदत सीधे जाय ना, देता धरना आय ||
नौकरशाही भ्रष्ट कह, कहे नौकरी छोड़ |
फोर्ड सैलरी की मची, आज आप में होड़ ||
चला ठीकरा फोड़ने, ठीक-ठाक रणनीति |
राजनीति चमका रहा, छोड़ पुरानी रीति ||
खड़ा करेगा देश को, रविकर अंधे मोड़ |
नीति-नियम सब छोड़ के, नगर ग्राम कुल तोड़ ||
है सुधार में धार पर, किन्तु कहाँ सरकार |
कहीं दांव उल्टा पड़ा, रविकर जाय सिधार ||
आदत सीधे जाय ना, देता धरना आय ||
नौकरशाही भ्रष्ट कह, कहे नौकरी छोड़ |
फोर्ड सैलरी की मची, आज आप में होड़ ||
चला ठीकरा फोड़ने, ठीक-ठाक रणनीति |
राजनीति चमका रहा, छोड़ पुरानी रीति ||
खड़ा करेगा देश को, रविकर अंधे मोड़ |
नीति-नियम सब छोड़ के, नगर ग्राम कुल तोड़ ||
है सुधार में धार पर, किन्तु कहाँ सरकार |
कहीं दांव उल्टा पड़ा, रविकर जाय सिधार ||
दारु दाराधीन पी, हुआ नदारद मर्द-"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-34
दोहा
दारु दाराधीन पी, हुआ नदारद मर्द |
दारा दारमदार ले, मर्दे गिट्टी गर्द ||
कंकरेत कंकर रहित, काष्ठ विहीन कुदाल |
बिन भार्या के भवन सम, मन में सदा मलाल ||
अड़ा खड़ा मुखड़ा जड़ा, उखड़ा धड़ा मलीन |
लीन कर्म में उद्यमी, कभी दिखे ना दीन ||
*कृतिकर-शेखी शैल सी, सज्जन-पथ अवरुद्ध |
करे कोटिश: गिट्टियां, हो *षोडशभुज क्रुद्ध ||
दाराधीन=स्त्री के वशीभूत
कृतिकर=बीस भुजा वाला
षोडशभुज=सोलह भुजाओं वाली
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होवे पुलिस अधीन, जाय क्यूँ अलग कमाई
माई-मामा मारते, मजा यहाँ हरवक्त |
पुलिस उगाही में जुटी, बा-शिंदे के भक्त |
बा-शिंदे के भक्त, आपका गर बन पाये |
पाया बँगला कार, मजा दुगुना हो जाये |
छुटभैये बड़वार, दलाली तब चमकाई |
होवे पुलिस अधीन, जाय क्यूँ अलग कमाई --
धड़'ना है बेताल धुर, चढ़ा केजरी पीठ |
खतरे से खिलवाड़ पर, कारण दिखे अनेक-MONDAY, 13 JANUARY 2014रविकर ले हित-साध, आप मत डर खतरे से-
खतरे से खिलवाड़ पर, कारण दिखे अनेक |
थूक थूक कर चाटना, घुटने देना टेक |
घुटने देना टेक, अगर हो जाए हमला |
होवे आप शहीद, जुबाँ पर जालिम जुमला |
भाजप का अपराध, उसी पर कालिख लेसे |
रविकर ले हित-साध, आप मत डर खतरे से ||
बानी है धमकी भरी, खफा खफा सरकार-अब आप के कर्णधारों को सोचना चाहिए
pramod joshi
बानी है धमकी भरी, खफा खफा सरकार |
सुनी तनिक खोटी-खरी, धरने को तैयार |
धरने को तैयार, हमेशा टाँग अड़ाएं |
करते रहे प्रचार, किन्तु अब मुँह की खाएं |
वाह केजरीवाल, नहीं है तेरी सानी |
नहीं गले अब दाल, चलो दे दो कुर्बानी ||
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*बोड़ा निगले जिंदगी, हिंदी हुई अनाथ-
असम में हिंदीभाषी हुए हमले के शिकार जागरण - ६ घंटे पहले
चिंदी-चिंदी तन-बदन, पांच मरे इक साथ ।
*बोड़ा निगले जिंदगी, हिंदी हुई अनाथ ॥
*अजगर
हिंदी हुई अनाथ, असम-पथ ऊबड़-खाबड़ ।
है सत्ता कमजोर, धूर्त आतंकी धाकड़ ।
हिंदी-भाषी पाय, बना माथे पर बिंदी ।
अपने रहे निकाल, यहाँ हिंदी की चिंदी ।।
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आ० बढ़िया सूत्र संकलन व प्रस्तुति , धन्यवाद
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