संजय की दृष्टी सजग, जात्य-जगत जा जाग ।
जीवन में जागे नहीं, लगे पिता पर दाग ।
लगे पिता पर दाग, पालिए सकल भवानी।
भ्रूण-हत्या आघात, पाय न पातक पानी ।
निर्भय जीवन सौंप, बचाओ पावन सृष्टी ।
कहीं होय न लोप, दिखाती संजय दृष्टी ।।
प्रतियोगी बिलकुल नहीं, हैं प्रतिपूरक जान ।
इक दूजे की मदद से, दुनिया बने महान ।
दुनिया बने महान, सही आशा-प्रत्याशा ।
पुत्री बने महान, बाँटता पिता बताशा ।
बच्चों के प्रतिमोह, किसे ममता ना होगी ।
पति-पत्नी माँ-बाप, नहीं कोई प्रतियोगी ।।
इष्ट-मित्र परिवार को, सहनशक्ति दे राम ।
रावण-कुल का नाश हो, होवे काम तमाम ।
होवे काम तमाम, अजन्मे दे दे माफ़ी ।
अमर पिता का नाम, बढ़ाना आगे काफी ।
इस दुनिया का हाल, राम जी अच्छा करिए ।
अमल-पुष्प सह-गंध को, दूँ ढेरों आशीष ।
यश फैले सारे जगत, सुख शान्ति दे ईश ।।
भय का भी जग में रहा, भला अनोखा योग ।
निर्धारक सुन नीति के, कर अभिनव प्रयोग ।
कर अभिनव प्रयोग, दूर से छड़ी दिखाना ।
इम्तिहान का भय, तनिक फिर से ले आना ।
मर्जी से सब बाल, पढ़ें ना पाठ जरुरी ।
जिम्मेदारी डाल, करे शिक्षा तो पूरी ।।
दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक
dineshkidillagi.blogspot.com
होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
बहुत बेहतरीन प्रस्तुति,...
ReplyDeleteRESENT POST...फुहार...फागुन...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteआपको सपरिवार रंगों के पर्व होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ......!!!!
बहुत अच्छी टिप्पणियाँ और बढ़िया लिंक्स...
ReplyDeleteशुक्रिया दिनेश जी.
सादर.
sarthak prastuti .aabhar
ReplyDeleteKAR DE GOAL
लगे पिता पर दाग, पालिए सकल भवानी।
ReplyDeleteभ्रूण-हत्या आघात, पाय न पातक पानी ।
इस दुनिया का हाल, राम जी अच्छा करिए ।
नव-आगन्तुक बाल, हाथ उसके सिर धरिये ।।
दोनों ही मार्मिक प्रसंगों पर aapki लेखनी मुखरित है .स्त्री -पुरुष विषम होत अनुपात ,कौन बचावे तात!
सुन्दर प्रस्तुतियां...
ReplyDeleteसादर आभार.