खुला पिटारा प्रणव का, मौनी देते दाद ।
महँगाई से त्रस्त जन, डर डर देते पाद ।
दर दर देते पाद, धरा नीचे से खिसके ।
सस्ता हुआ नमक, छिड़क दें जैसे सिसके ।
दो प्रतिशत दे और, जरा सा सह ले यारा ।
छिना और दो कौर, पीटता खुला पिटारा ।।
छोटी बहना को करे, भैया फिर आश्वस्त ।
इक पुकार ड्योढ़ी खड़ा, चाहे जितना व्यस्त ।
चाहे जितना व्यस्त, घटे अब तोता मैना ।
राम राम उद्घोष, कहाँ अब चना-चबैना ।
बहे नीम से नीर, करे फिट नेता गोटी ।
जन्मदिवस पच्चास, मुबारक बहना छोटी ।।
ताना-बाना से क्यूँ ताना, मार रहे हैं गुरुवर ।
ताना ना बाना पर सोहे, जो धारे हैं तनपर ।
हम सब के श्रद्धेय गुरूजी, शाश्वत-सत्य से वाकिफ -
ज्ञान लुटाएं राह दिखाएँ, करे निवेदन रविकर ।।
डॉ. अनवर जमाल
अनवर जैसे श्रेष्ठ-सभ्य, मख को जानो यज्ञ ।
मख मक्का का रूप है, समझाएं स्थितिप्रज्ञ ।
समझाएं स्थितिप्रज्ञ, यज्ञ यज से हज होता ।
बिना सिले दो वस्त्र, साधु सा हाजी ढोता ।
अनवर बड़े जमाल, दुष्ट को लगता गोटा ।
उलटी-पलटी चाल, हाथ में थामे लोटा ।।
लूट-लाट में लटपटा, बने लटा जब लाट।
देश भक्त की कर रहे, खड़ी हमेशा खाट ।
खड़ी हमेशा खाट, रिसर्चर हैं ये नामी ।
कालिख लगा ललाट, कराते क्यूँ बदनामी ।
पार-दर्श सरकार, रहे जो राज-पाट में ।
पकड़े धंधेबाज, लगे जो लूट-लाट में ।
माया वाले दें डरा, करें सभ्यता ख़त्म ।
साधुवाद है आपको, भरे हमारे जख्म ।।
नीति नियत सब ठीक है, बेशक आप जहीन ।
कान्ग्रेस की गत वही, भैंसी आगे बीन ।।
भारतीय यह सभ्यता, ऐसे जाय विदेश ।
बच्चा नि:संतान को, डालर पाये देश ।
डालर पाए देश, नया यह धंधा आया।
स्पर्म होंय नि:शेष, रास्ता नया दिखाया ।
परखनली संतान, मर्म को छू लेता है ।
सबसे बढ़िया दान, आय वी ऍफ़ देता है ।।
वीरूभाई द्वारा दी लाइनें पूरी की हैं --
धुंधली होती जा रही,यादें पन्ना धाय |
मातु यशोदा भूल के, कान्हा मथुरा जाय |
कान्हा मथुरा जाय, कदम इक बड़ा बढाया |
सरोगेट अब माय, कोख को शॉप बनाया |
गोरे वे नामर्द, टार्गेट उनको करते |
देते डालर चन्द, रास्ता सीधा धरते ||
श्रम-साधक खुद्दार हो, धन से सम्यक प्यार ।
करे निरीक्षण स्वयं का, सुखमय शांति अपार ।।
बहुत सटीक सुंदर प्रस्तुति,....
ReplyDeletebahut badhiya sarthak prastuti.
ReplyDeleteयह चिंगारी मज़हब की.
भारतीय यह सभ्यता, ऐसे जाय विदेश ।
ReplyDeleteबच्चा नि:संतान को, डालर पाये देश ।
डालर पाए देश, नया यह धंधा आया।
स्पर्म होंय नि:शेष, रास्ता नया दिखाया ।
परखनली संतान, मर्म को छू लेता है ।
सबसे बढ़िया दान, आय वी ऍफ़ देता है ।।
वाह भाई साहब !मेडिकल टूरिज्म और 'इन -वीट्रो -फ़र्तिलाइज़ेशन 'दोहे में समझाय दिए.
ReplyDeleteवाह भाई साहब !मेडिकल टूरिज्म और 'इन -वीट्रो -फ़र्तिलाइज़ेशन 'दोहे में समझाय दिए.
ReplyDeleteसर्रो -गैट मदर पर भी लिख दो दोहे चार ,
अब गरीब की कोख भी ,डोलर बदले चार .
वाह भाई साहब !मेडिकल टूरिज्म और 'इन -वीट्रो -फ़र्तिलाइज़ेशन 'दोहे में समझाय दिए.
ReplyDeleteसर्रो -गैट मदर पर भी लिख दो दोहे चार ,
अब गरीब की कोख भी ,डोलर बदले चार .
धाय माँ कहते जिसे, मिलती अब वो हाट!
गोरी चमड़ी टोह- ती,कोखों की है बाट!
वाह ..
ReplyDeleteबहुत खूब !!