चर्चामंच पर टिप्पणी
हो! हो! हो! होली हुई, हरफ-हरफ हुलसाय |
प्रेम-पत्रिका पाठकर, पटु-पाठक पगलाय ||
पटु-पाठक पगलाय, प्रेम-पर प्रस्तुत परचा |
चंचल-मन चितलाय, चढ़े चाचरि चहुँ चरचा |
बाग़ बाग़ दिलबाग, निखरता तन-मन धो- धो |
होली सबको लाग, करें सब पागल हो! हो !!
कुछ पकड़ने में कुछ छूट जाता है।
हो! हो! हो! होली हुई, हरफ-हरफ हुलसाय |
प्रेम-पत्रिका पाठकर, पटु-पाठक पगलाय ||
पटु-पाठक पगलाय, प्रेम-पर प्रस्तुत परचा |
चंचल-मन चितलाय, चढ़े चाचरि चहुँ चरचा |
बाग़ बाग़ दिलबाग, निखरता तन-मन धो- धो |
होली सबको लाग, करें सब पागल हो! हो !!
कुछ पकड़ने में कुछ छूट जाता है।
बिटिया को शुभकामना, मात-पिता का स्नेह ।
सफल यात्रा हो प्रभू, बरसे मेहर-मेह ।
बरसे मेहर-मेह, छूटने कुछ न पाए ।
न कोई संदेह, समझ-दृढ़ता शुभ आये ।
पिता श्री बेचैन, भटकना इनकी आदत ।
यह होली की रैन, सभी का स्वागत-स्वागत ।।
स्पर्श प्यार का
खारा सागर मीठी गागर, शीत-ऊष्ण धाराएं |
कहीं मरुस्थल-उद्यानों में, भीषण-सुखद हवाएं |
चंदा की फितरत समझे मन, तन समझे घन वर्षा
अमृत बूंदाबांदी से यह जीवन-ऊसर हर्षा ||
हो री हो ली चरम पर, भरमित घुर्मित लोग ।
शर मारे कुसुमेस सर, सहना कठिन वियोग ।।
शर मारे कुसुमेस सर, सहना कठिन वियोग ।।
होली की फाग .....
कान्हा लीला कर रहे, छत्तीसगढ़ को जात ।
मायावी योगी बड़े, सपना हैं भरमात ।
सपना हैं भरमात, खेलती दुनिया सारी।
रँगते सबके गात , चला के खुब पिचकारी ।
राधा धानी रंग, लाल से रंगे नीला ।
स्वप्न मेरे.........
आज दिगम्बर की गली, गली ठीक से दाल ।
कैलासी डोलें सकल, लागा नेह-गुलाल ।।
आज दिगम्बर की गली, गली ठीक से दाल ।
कैलासी डोलें सकल, लागा नेह-गुलाल ।।
हर पहलू को जांचती, आँखे अख्तर साब ।
जो पढ़ ले ऑंखें उन्हें, मिलते सकल जवाब ।।
एक साल सचमुच हुआ, पुत्र बसा परदेस |
अंत वित्तीय वर्ष कर, आएगा फिर देस ।
आएगा फिर देस, बेटियां घर को आईं ।
गलाकाट यह रेस, कैरिअर और पढ़ाई ।
होली का त्यौहार, दिवाली रक्षाबंधन ।
झूठे होते पार, साल से मेरे आँगन ।।
तीव्र वेग हो तीव्रतर, भरसक भागम भाग ।
रोना फिर भी समय का, मिटे मोह अनुराग ।
मिटे मोह अनुराग, लगे त्यौहार बदलने ।
नौसिखुओं की फाग, दाल लगती है गलने ।
संवाद हुए संक्षिप्त, रेस में पहले दौड़ें ।
मोबाइल विक्षिप्त, भेजता मैसेज भौंडे ।।
दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक
dineshkidillagi.blogspot.com
होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
वाह जी वाह ... आपका निराला अंदाज बहुत भाया दिनेश जी ...
ReplyDeleteआपको और समस्त परिवार को होली की मंगल कामनाएं ..
जी चाहता है,क्रम टूटे ना। कविता बस पढ़ते ही जाएं....
ReplyDeleteवाह!!!!!बहुत बेहतरीन निराली प्रस्तुति,
ReplyDeleteदिनेश जी,...होली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...
RECENT POST...काव्यान्जलि ...रंग रंगीली होली आई,
बहुत बढ़िया.....
ReplyDeleteहोली शुभ हो .....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की मंगलकामनाएँ!
वाह! फोटू तो हिट हो गया। आपके कवित्त से चित्त हो गया।
ReplyDelete..आभार।
श्याम रंग में रंगी चुनरिया ,अब रंग दूजो भावे न ,जिन नैनं में श्याम बसें हैं ,और दूसरो आवे न .
ReplyDeleteहोली मुबारक .
बहुत खूब .दिनेश जी का ज़वाब नहीं .चिठ्ठा बिच चिठ्ठा है जी .....
Holi Mubarak.
ReplyDeleteखारा सागर मीठी गागर, शीत-ऊष्ण धाराएं |
ReplyDeleteकहीं मरुस्थल-उद्यानों में, भीषण-सुखद हवाएं |
चंदा की फितरत समझे मन, तन समझे घन वर्षा
अमृत बूंदाबांदी से यह जीवन-ऊसर हर्षा ||
क्या अलफ़ाज़ हैं रविकर जी .बधाई .चर्चा bich चर्चा .
सुन्दर प्रस्तुति ....होली एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं जी आपको
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ....होली एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं जी आपको
ReplyDeleteबहूत.बहूत सुंदर रचना है.
ReplyDeleteहोली पर्व कि ढेर सारी शुभकामनाये
आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा मंच-812:चर्चाकार-दिलबाग विर्क>