Sunday, 4 March 2012

बाबा रहे सँभाल, बाबा को तुम देखना--


खुशियाँ हो भरपूर, कीर्तिवान हो जगत में ।
हो मनोकामना-पूर्ण, प्यारे बाबा के सकल ।।

बिद्या-बुद्धि शौर्य, शारद दुर्गा भेंटती ।
संयम निष्ठा धैर्य, मात-पिता गुरु से मिले ।।

अभ्युदय खुशहाल, होय निरोगी देह पुष्ट ।
बाबा रहे सँभाल, बाबा को तुम देखना ।।

ग़ाफ़िल की अमानत

लीडर यह सचमुच निडर, मिटा प्रतिष्ठा मूल।
फिरे जहन्नुम ढूंढता, फिर से खता क़ुबूल ।। 



रजनी में रजनीश की, धवल किरण इक आय ।
कालनिषा में दी दिखा, पाठक एक उपाय ।
पाठक एक उपाय, स्वान्त: लिखने वालों ।
जांचो-परखो खूब, पकाओ पहले सालों ।
 हो जाये जब टेस्ट, छापिये पुस्तक अपनी ।
तब दीमक न खाय, सुवासित होवे रजनी ।।


बढ़िया विश्लेषण पढ़ा,  कविवर तुम्हें प्रणाम ।
मातु नर्मदा का किया, वर्णन विविध तमाम ।
वर्णन विविध तमाम, बनी गंगा सी पावन ।
सींचे पेड़-पहाड़, अमर-कंटक से उपवन ।
सबसे बढ़िया बात, बूंद ताकत दिखलाए ।
एकल क्या औकात, मिले धरा बन जाए ।।


शीर्षक में है सादगी, मिला मसाला खूब ।
पीने का टाइम हुआ, गए घड़े में डूब ।। 
गए घड़े में डूब, होश की बातें भूले ।
नहीं तनिक भी ऊब, मस्त हो झूले झूले ।
पचपन थी यह देह, पचासी होती जाये ।
मद्य पचा सस्नेह, बुराई सारी भाये ।।


बेटी का दर्द देख बन गए बच्चों के हमदर्द

India Darpan

 

निज बेटे के दर्द सा, करे अलग अनुभूति ।
जज्बे की कर वंदना, करूँ प्रणम्य विभूति ।
करूँ प्रणम्य विभूति, धनी का हृदय भेदे ।
कर गरीब कल्याण, रोग दुनिया से खेदे ।
बुरी दशा है मित्र, आज भी इन गावों की ।
सब सरकार विचित्र, पोल खुलती दावों की ।।


मत बाँटो इंसान को

 

पंछी 

फितरत यह इंसान की, कहता हूँ दो टूक ।
टूक टूक करता रहे, नस्ल क्षेत्र पद कूट ।
नस्ल क्षेत्र पद कूट, बाँटता खुद को जावे ।
जाति-धर्म पथ गोत्र, जिला भाषा बहकावे ।
गौर सांवला वर्ण, पढ़े-अनपढ़ में बांटे ।
खड़ा अकेला पाय, अंत में खुद को काटे ।। 

च च  चपला चंचला, चमत्कार चौन्धाय।
चकित चकोरी चिहुकती, चभक चापती चाय । 
चभक चापती चाय, चकीरा चक्कस चलता ।
चकमक चक चिंगार, चीन्ह चुपचाप चुबलता ।
ऐ रविकर चल चाप, चरफरा चना चबैना ।
चुप चूँ-चूँ चिचियान,  चाहिए चौगुन चैना ।।


  बाल-बुद्धि लायक प्रभू , दुनिया देव बनाय ।
 दुनिया लायक अन्यथा, हिकमत देव सिखाय ।।

 दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक 
 dineshkidillagi.blogspot.com
होली  है  होलो  हुलस, हुल्लड़  हुन  हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।

10 comments:

  1. अभ्युदय के जन्मदिन परमुंबई के शतश :प्रणाम और आशीष .

    होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
    कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
    सुन्दर भाव गीत .होली मुबारक

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  2. अभ्युदय के जन्मदिन परमुंबई के शतश :प्रणाम और आशीष .

    होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
    कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
    सुन्दर भाव गीत .होली मुबारक

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  3. बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,
    इंडिया दर्पण की ओर से होली की अग्रिम शुभकामनाएँ।

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  4. अच्छी रचनात्मक प्रस्तुति...

    बढ़िया लिंक्स.....
    शुक्रिया...

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  5. ABHUYDAY KO JANMDIN KI HARDIK SHUBHKAMNAYEN .....HOLI PARV KI HARDIK SHUBHKAMNAYEN . YE HAI MISSION LONDON OLYMPIC

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  6. वाह!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    होली की शुभकामनाएँ!

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  7. ABHUYDAY KO JANMDIN KI HARDIK SHUBHKAMNAYEN .....HOLI PARV KI HARDIK SHUBHKAMNAYEN

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  8. अद्भुत प्रस्तुति,
    दिनेश जी,...बहुत खूब,..होली की बहुत२ बधाई

    NEW POST...फिर से आई होली...
    NEW POST फुहार...डिस्को रंग...

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  9. अच्छी है बेसुरम की सुर-तान......कहीं कहीं मात्रा दोष के कारण लय-गति में तन्गी है.. देख लीजिये...

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति और लाज़वाब आपकी टिप्पणियां...होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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