अफवाहें अच्छी लगने लगी हैं : दैनिक हिंदी मिलाप 24 अगस्त 2013 अंक में स्तंभ बैठे ठाले में प्रकाशित
नुक्कड़
करा वाहवाही गई, वाहियात अफवाह |
हवा बना ले मीडिया, पब्लिक किन्तु कराह | पब्लिक किन्तु कराह, नहीं परवाह किसी को | दाह दाह संस्कार, दिखाते रहें इसी को | रेप हादसा मौत, नहीं न इनको अखरा | रहा मसाला चटक, कटा बों बों कर बकरा || |
हमारा देश बिना बाड़ के खेत जैसा हो गया हैं !!
पूरण खण्डेलवाल
शंखनाद -
बिना बाड़ के हो गया, अपना देश महान |
बाड़-पडोसी खा रही, नित्य खेत-मैदान |
नित्य खेत-मैदान, बाड़ उनकी यह घातक |
करते हम आराम, आदतें बड़ी विनाशक |
चेतो नेता मूढ़, जाय नित शत्रु ताड़ के |
विषय बहुत ही गूढ़, रहो मत बिना बाड़ के ||
रविकर
डालर डोरे डालता, अर्थव्यवस्था कैद |
पुन:विदेशी लूटते, फिर दलाल मुस्तैद-
हर दिन बढ़ता घाटा है |
झूठा कौआ काटा है |
होय कोयला लाल जो, बचे शर्तिया राख |
गायब होती फाइलें, और बचाते साख -
माँ-बेटे ने डाटा है ?
झूठा कौआ काटा है |
रहा रुपैये का बिगड़, धीरे धीरे रूप |
करे ख़ुदकुशी अन्ततः, कूदे गहरे कूप |
यूँ छाता सन्नाटा है |
झूठा कौआ काटा है ||
भोलू-भोली भूलते, रहा नहीं कुछ याद ।
याददाश्त कमजोर है, टू-जी की बकवाद ।
यह भी बिरला टाटा है ।
झूठा कौआ काटा है ||
चूर गर्व मुंबई का, करे कलंकित दुष्ट ।
शर्मिंदा फिर देश है, हुवे आम जन रुष्ट ।
पौरुषता पर चाटा है ।
झूठा कौआ काटा है ||
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उल्लूक टाईम्स
छोटी मोटी जगह पर, करता खुद को बन्द |
बिना रीढ़ के जीव का, अपना ही आनन्द |
अपना ही आनन्द, चरण चुम्बन में माहिर |
भरे पड़े छल-छंद, किन्तु न होते जाहिर |
चले समय के साथ, लाल कर अपनी गोटी |
ऊँचा झंडा हाथ, बात क्या छोटी मोटी ??
छोटी मोटी जगह पर, करता खुद को बन्द |
बिना रीढ़ के जीव का, अपना ही आनन्द |
अपना ही आनन्द, चरण चुम्बन में माहिर |
भरे पड़े छल-छंद, किन्तु न होते जाहिर |
चले समय के साथ, लाल कर अपनी गोटी |
ऊँचा झंडा हाथ, बात क्या छोटी मोटी ??
कपड़े के पीछे पड़े, बिना जाँच-पड़ताल | पड़े मुसीबत किसी पर, कोई करे सवाल | कोई करे सवाल, हिमायत करने वालों | व्यर्थ बाल की खाल, विषय पर नहीं निकालो | मिले सही माहौल, रुकें ये रगड़े-लफड़े । देकर व्यर्थ बयान, उतारो यूँ ना कपड़े ॥ |
सुंदर लिंक्स जनाब |
ReplyDeleteडॉ अजय
“जीवन हैं अनमोल रतन !"
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर कल पहली चर्चा हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-001 में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar
ReplyDeleteआभार !
ReplyDeleteसंकलन करना सूत्रों का
एक अलग बात है
रविकर का हो संकलन
सूत्र भी साथ तो क्या बात है !