लोकतंत्र की शक्ल में, दिखने लगी चुड़ैल |
परियों सा लेकर फिरे, पर मिजाज यह बैल |
पर मिजाज यह बैल, भेद हैं कितने सारे |
वंश भतीजा वाद, प्रान्त भाषा संहारे |
जाति धर्म को वोट, जीत षड्यंत्र मन्त्र की |
अक्षम विषम निहार, परिस्थिति लोकतंत्र की |
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नहीं कहीं भी लगता नारा । पी एम चुप्पा चोर हमारा ॥
पी एम चुप्पा चोर हमारा ॥
चोर चुहाड़ कमीना बोले ।
राज राज का बाहर खोले॥
सत्ता सांसद यहाँ खरीदें ।
रखे तभी जिन्दा उम्मीदें ॥
नौ दिन चले अढ़ाई माइल ।
होय काँख से गायब फ़ाइल ॥
जहाँ निकम्मे हैं अधिकारी ।
प्रवचनकर्ता तक व्यभिचारी ॥
जन गन मन मुद्रा में मस्ती ।
होती जाती मुद्रा सस्ती ।।
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Shalini Kaushik
माफ़ी माता से मिले, पर माता का कृत्य |
माफ़ी के लायक नहीं, करती नंगा नृत्य |
करती नंगा नृत्य, भ्रूण में खुद को मारे |
दे दुष्टों का साथ, हमेशा बिना विचारे |
नरक वास हित मान, पाप तेरा यह काफी |
खोती खुद सम्मान, कौन देगा अब माफ़ी ??
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कार्टून :- ख़तरे का खिलाड़ी नं0-1
रवताई राजा हुआ, ऐसा होता अर्थ |
ऐसा ही कुछ रवतरा, करता यहाँ अनर्थ |
करता यहाँ अनर्थ, नहीं छू लेना भाई |
देगा झटका मार, एक राजा की नाईं |
रविकर का आकलन, रवकना जान गंवाई |
बिजली होती फेल, किन्तु ना हो रवताई ||
कैसे मुद्रा-पस्त, नहीं घर में हैं दाने- कैडर से डर डर करे, कैकेयी कै-दस्त |
कैटभ कैकव-अपर्हति, कैसे मुद्रा-पस्त |
कैसे मुद्रा-पस्त, नहीं घर में हैं दाने |
कोंछे में वंचिका, चली जा रही भुनाने |
आये नानी याद, चाल चल रही भयंकर |
दे गरीब के नाम, करे खुश लेकिन कैडर ||
कैकव-अपर्हति=असली बात बहाने से छिपाना
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अंध-न्याय की देवि ही, खड़ी निकाले खीस |
खड़ी निकाले खीस, रेप वह भी तो झेले |
न्याय मरे प्रत्यक्ष, कोर्ट के सहे झमेले |
नाबालिग को छूट, बढ़ाए विकट हौसला |
और बढ़ेंगे रेप, अगर यूँ टला फैसला ||
क्या बात वाह!
ReplyDeleteबहुत खूब क्या बात है :)
ReplyDeleteधन्यवाद रविकर जी सुंदर समीक्षा के लिए
ReplyDeleteटला फैसला दस दफा, लगी दफाएँ बीस |
ReplyDeleteअंध-न्याय की देवि ही,खड़ी निकाले खीस |
खड़ी निकाले खीस,रेप वह भी तो झेले |
न्याय मरे प्रत्यक्ष, कोर्ट के सहे झमेले |
नाबालिग को छूट,बढ़ाए विकट हौसला |
और बढ़ेंगे रेप , अगर यूँ टला फैसला ||
बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति,,,
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ReplyDeleteमाफ़ी माता से मिले, पर माता का कृत्य |
माफ़ी के लायक नहीं, करती नंगा नृत्य |
करती नंगा नृत्य, भ्रूण में खुद को मारे |
दे दुष्टों का साथ, हमेशा बिना विचारे |
नरक वास हित मान, पाप तेरा यह काफी |
खोती खुद सम्मान, कौन देगा अब माफ़ी ??
बहुत मार्मिक और सुन्दर रचना व्यंग्य विड्म्बन लिए आज की।