मासूम नहीं रहे नाबालिग मुजरिम
अंध-न्याय की देवि ही, खड़ी निकाले खीस |
खड़ी निकाले खीस, रेप वह भी तो झेले |
न्याय मरे प्रत्यक्ष, कोर्ट के सहे झमेले |
नाबालिग को छूट, बढ़ाए विकट हौसला |
और बढ़ेंगे रेप, अगर यूँ टला फैसला ||
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पाता पोती दुष्ट, और अज'माता ओरल-
रल-मिल दुर्जन लूटते, गैंग रेप कहलाय ।
हत्या कर के भी यहाँ, नाबालिग बच जाय ।
नाबालिग बच जाय, प्रवंचक साधु कहानी ।
नहीं करे वह रेप, मुखर-मुख की क्या सानी ।
छल बल *आशर बाढ़, मची काया में हलचल ।
पाता पोती दुष्ट, और अज'माता ओरल ॥
*राक्षस
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दिखा अंगूठा दे खुदा, करता भटकल रोष-
दिखा अंगूठा दे खुदा, करता भटकल रोष |
ऊपर उँगली कर तभी, रहा खुदा को कोस |
रहा खुदा को कोस, उसे ही करे इशारा |
मारे कई हजार, कहाँ है स्वर्ग हमारा |
रविकर दिया जवाब, मिला जो जेल अनूठा |
यही तुम्हारा स्वर्ग, चिढ़ा तू दिखा अंगूठा ||
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कार्टून :- ख़तरे का खिलाड़ी नं0-1
रवताई राजा हुआ, ऐसा होता अर्थ |
ऐसा ही कुछ रवतरा, करता यहाँ अनर्थ |
करता यहाँ अनर्थ, नहीं छू लेना भाई |
देगा झटका मार, एक राजा की नाईं |
रविकर का आकलन, रवकना जान गंवाई |
बिजली होती फेल, किन्तु ना हो रवताई ||
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लोकतंत्र की शक्ल में, दिखने लगी चुड़ैल |
परियों सा लेकर फिरे, पर मिजाज यह बैल |
पर मिजाज यह बैल, भेद हैं कितने सारे |
वंश भतीजा वाद, प्रान्त भाषा संहारे |
जाति धर्म को वोट, जीत षड्यंत्र मन्त्र की |
अक्षम विषम निहार, परिस्थिति लोकतंत्र की |
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कैसे मुद्रा-पस्त, नहीं घर में हैं दाने-
कैडर से डर डर करे, कैकेयी कै-दस्त |
कैटभ कैकव-अपर्हति, कैसे मुद्रा-पस्त |
कैसे मुद्रा-पस्त, नहीं घर में हैं दाने |
कोंछे में वंचिका, चली जा रही भुनाने |
आये नानी याद, चाल चल रही भयंकर |
दे गरीब के नाम, करे खुश लेकिन कैडर ||
कैकव-अपर्हति=असली बात बहाने से छिपाना
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वाह बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबढिया लिंक्स
ReplyDeleteसुन्दर !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
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