Thursday, 29 August 2013

डालर खाता जाय, ग्लोब की खुली खिड़कियाँ-

  


Shalini Kaushik 

माफ़ी माता से मिले, पर माता का कृत्य |
माफ़ी के लायक नहीं, करती नंगा नृत्य |

करती नंगा नृत्य, भ्रूण में खुद को मारे |
दे दुष्टों का साथ, हमेशा बिना विचारे |

नरक वास हित मान, पाप तेरा यह काफी |
खोती खुद सम्मान, कौन देगा अब माफ़ी ?? 

यूपी के सपा नेता कॉल गर्ल्स के साथ मस्ती करते गिरफ्तार



चूजा के पीछे पड़ा, भाषण प्रवचन भ्रष्ट |
कोई गोवा बीच पर, गया मिटाने कष्ट |

गया मिटाने कष्ट, मस्तियाँ मार बराबर |
गुंडागर्दी देख, डरा जाता है रविकर |

उत्तर नहीं प्रदेश, काम की होती पूजा |
रति अनंग हैं मस्त, ढूंढ़ता मुर्गा चूजा ||


उल्लूक की पोटली में कूड़ा ही कूड़ा



Sushil Kumar Joshi




जूड़ा से जूड़ी लगे, छाती नहीं जुडाय |

मंदी छाती जा रही, डालर खाता जाय |


डालर खाता जाय, ग्लोब की खुली खिड़कियाँ |


रुपिया डूबा जाय , सहे सरकार झिडकियां |


चूडा चना चबाय, नोट हो जाते कूड़ा |



नारि खड़ी मुस्काय, बांधती जाए जूड़ा || 


अटकल दुश्मन लें लगा, है चुनाव आसन्न |
बुरे दौर से गुजरती, सत्ता बांटे अन्न |

सत्ता बाँटे अन्न, पकड़ते हैं आतंकी |
आये दाउद हाथ, होय फिर सत्ता पक्की |

  हो जाए कल्याण, अभी तक टुंडा-भटकल |
पकड़ेंगे कुछ मगर, लगाते रविकर अटकल ||



हुआ रिएक्शन दवा का, ले बिन देखे घोट |
आइ सी यू में जिंदगी, हवा हो रहे नोट |

हवा हो रहे नोट, पल्स पर नजर गढ़ाए |
गायब फ़ाइल मोट, फूड जन-गण बहकाए |

रविकर तिकड़ी देख, दे रहा देश बददुआ |
छाया नशा चुनाव, लिया पी जैसे महुआ |


नौ दो ग्यारह होय, निवेशक धन बहु-रूपया

रूपया छा-सठ में फँसा, उन-सठ से हैरान |
इक-सठ कब से मौन है, अड़-सठ सड़-सठियान |

अड़-सठ सड़-सठियान, तीन-तेरह हो जाता |
तीन-पाँच हर वक्त, पञ्च-जन माल खपाता |

मची हुई है लूट, रपट आती है खुफिया |
नौ दो ग्यारह होय, निवेशक धन बहु-रूपया || 

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