वंशीधर का मोहना, राधा-मुद्रा मस्त ।
नाचे नौ मन तेल बिन, किन्तु नागरिक त्रस्त ।
किन्तु नागरिक त्रस्त, मगन मन मोहन चुप्पा ।
पाई रहा बटोर, धकेले लेकिन कुप्पा ।
बीते बाइस साल, हुई मुद्रा विध्वंशी ।
चोरों की बारात, बजाये रविकर वंशी ॥
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नौ दो ग्यारह होय, निवेशक धन बहु-रूपया
रूपया छा-सठ में फँसा, उन-सठ से हैरान |
इक-सठ कब से मौन है, अड़-सठ सड़-सठियान |
अड़-सठ सड़-सठियान, तीन-तेरह हो जाता |
तीन-पाँच हर वक्त, पञ्च-जन माल खपाता |
मची हुई है लूट, रपट आती है खुफिया |
नौ दो ग्यारह होय, निवेशक धन बहु-रूपया ||
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वे आतंकी रुष्ट, व्यर्थ हो जिनकी कसरत -
कसरत सी बी आय की, हो जाती बेकार |
मरती इशरत-जहाँ में, मोदी सर की कार |
मोदी सर की कार, बोल बैठा अमरीका |
लोहे की हे-डली, फ़िदायिन का ले ठीका |
सोमनाथ पर दृष्टि, उड़ाने की थी हशरत |
वे आतंकी रुष्ट, व्यर्थ हो जिनकी कसरत -
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ठेले बरबस खींचते, मन भर भर के प्याज |
पिया बसे परदेश में, यहाँ छिछोरे आज |
यहाँ छिछोरे आज, बड़ा सस्ता दे जाते |
रविकर नाम उधार, तकाजा करने आते |
आया है सन्देश, बड़े हो रहे झमेले |
जल्दी रुपये भेज, खड़े घर-बाहर ठेले -
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कैसे मुद्रा-पस्त, नहीं घर में हैं दाने-
कैडर से डर डर करे, कैकेयी कै-दस्त |
कैटभ कैकव-अपर्हति, कैसे मुद्रा-पस्त |
कैसे मुद्रा-पस्त, नहीं घर में हैं दाने |
कोंछे में वंचिका, चली जा रही भुनाने |
आये नानी याद, चाल चल रही भयंकर |
दे गरीब के नाम, करे खुश लेकिन कैडर ||
कैकव-अपर्हति=असली बात बहाने से छिपाना
भारत सरकार और डॉलर में होगी सीधी वार्ता
Kulwant Happy
बावन गज के थे सभी, लागा लंक कलंक | रावण संरक्षक हुआ, तब से रहें सशंक | तब से रहें सशंक, चला उन-सठ से आगे | इक-सठ मोहन-मौन, करोड़ों लुटे अभागे | डालर की अरदास, मिनट दो बारह बज के | पर लौटे ना पास, कभी वह बावन गज के || |
सुन्दर प्रस्तुति !!
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