pramod joshi
इच्छाधारी सर्प हैं, हटे दृश्य वीभत्स |
नाग नाथ को नाथ ले, साँप नाथ का वत्स |
साँप नाथ का वत्स, अघासुर पड़ा अघाया |
हुई मुलायम देह, बहुत भटकाई माया |
मनुज वेश में आय, वोट की मांगे भिक्षा |
सुगढ़ सलोनी देह, होय देने की इच्छा ||
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आधुनिक भारत की एक वीरांगना जिसने इस्लामिक आतंकियों से लगभग 400 यात्रियों की जान बचाते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया।
भारत योगी
जय जय जय जय नीरजा, चंडीगढ़ की शान |
गन प्वाइंट पे ले चुके, आतंकी इक यान |
आतंकी इक यान, सभी की जान बचाती |
डाक टिकट सम्मान, शहादत देकर पाती |
यह सच्ची आदर्श, कर्म कर जाती निर्भय |
हे नीरजा भनोट, तुम्हारी जय हो जय जय ||
वाह वाह ताऊ क्या लात है? में श्री अरविंद मिश्र
ताऊ रामपुरिया
गुरुवर श्री अरविन्द जी, जिनका धाकड़ ब्लॉग | वीणा-वादन ब्लॉग पर, साधे ताऊ-राग | साधे ताऊ-राग, फाग में जागे जागे | गुरु-वाइन का रंग, फिरे हैं भागे भागे | ये ही तो सरकार, ट्रांसफर फर फर रविकर | विश्वनाथ का नगर, छोड़ के जाते गुरुवर || |
सवाल ये है की सहमति से सेक्स की उम्र कम करने का मकसद यौन अपराधों पर लगाम लगाना है तो शादी/विवाह की उम्र को ही क्यों ना कम किया गया ?
Dr. Ayaz Ahmad
सोने पे सुहागा
सुनती कर्ण पुकार है, अब जा के सरकार |
सोलह के सम्बन्ध से, निश्चय हो उद्धार |
निश्चय हो उद्धार, बिना व्याही माओं के |
होंगे कर्ण अपार, कुँवारी कन्याओं के |
अट्ठारह में ब्याह, गोद में लेकर कुन्ती |
फेरे घूमे सात, उलाहन क्यूँ कर सुनती ||
सुनती कर्ण पुकार है, अब जा के सरकार |
सोलह के सम्बन्ध से, निश्चय हो उद्धार |
निश्चय हो उद्धार, बिना व्याही माओं के |
होंगे कर्ण अपार, कुँवारी कन्याओं के |
अट्ठारह में ब्याह, गोद में लेकर कुन्ती |
फेरे घूमे सात, उलाहन क्यूँ कर सुनती ||
पटना पटनायक सरिस, नीति चुने नीतीश |
चालाकी में भैंस से, पड़ते हैं इक्कीस |
पड़ते हैं इक्कीस, सदी इक्कीस भुनाते |
ले विशेष अधिकार, ख़्वाब ये हमें दिखाते |
रविकर से है रीस, उधर चालू है सटना |
दो नावों पर पैर, बड़ा मुश्किल है पटना ||
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रविकर शिव-सत्संग, मगन-मन सुने इंगला -कुम्भ-महिमा
इड़ा पिंगला संग मे, मिले सुषुम्ना देह ।
बरस त्रिवेणी में रही, सुधा समाहित मेह ।
सुधा समाहित मेह, गरुण से कुम्भ छलकता ।
संगम दे सद्ज्ञान , बुद्धि में भरे प्रखरता ।
रविकर शिव-सत्संग, मगन-मन सुने इंगला ।
कर नहान तप दान, मिले वर इड़ा-पिंगला।
इंगला=पृथ्वी / पार्वती / स्वर्ग इड़ा-पिंगला=सरस्वती-लक्ष्मी (विद्या-धन ) |
तिरवेनी थी साथ में, अमर-मुलायम-खान | एक दूसरे को समझ, सदगुण रहे बखान | सदगुण रहे बखान, अमर वाणी है रोगी | बेनी हैं दिग्भ्रमित, सपाई कहते ढोंगी | रविकर गहरे दोस्त, मारते ठेना ठेनी | सच्चाई है साफ़, बड़े हैं शातिर वेनी || |
किडनी डी एम के गई, वेंटीलेटर पार ।
इन्ज्वायिंग मेजोरिटी, बोल गई सरकार ।
बोल गई सरकार, बहुत आनंद मनाया ।
त्राहि त्राहि इंसान, देखना भैया भाया ।
सत्ता का आनंद, हाथ की खुजली मिटनी ।
हाथी सैकिल बैठ, लूट लाएगा किडनी ।
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सुन्दर लिंकों के साथ आपकी कुंडलियाँ गजब ढा रही है !!
ReplyDeleteवाह...!
ReplyDeleteटिप्पणियों की सुन्दर प्रस्तुतियाँ!
आभार!
जोरदार टिप्पणिओं के साथ बेहतरीन लिंक्स
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुतियाँ!..
ReplyDeleteबेहतरीन कुण्डलियाँ ......सुंदर संकलन....
ReplyDeleteसाभार.....
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (20-03-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
ReplyDeleteसूचनार्थ |
बहुत सुन्दर संयोजन सुन्दर पाद टिप्पणियां
ReplyDeletenice links, great comments.
ReplyDeleteबहुत लाज़वाब टिप्पणियां..
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