संजीव शर्मा
कहें यात्रा को यहाँ, महायात्रा लोग |
महाचंड चैनल महा, महागुनी सहयोग | महागुनी सहयोग, महादेवी महदाशा | महादेव का भोग, पाय के चाट बताशा | मरें जहाँ पर लोग, जमा हों माहापात्रा | मकु रहस्य रोमांच, मीडिया महायात्रा || महायात्रा=मृत्यु महदाशा=ऊंची आकांक्षा महादेव का भोग=भांग माहापात्रा=कट्टहा ब्राह्मण जो मृतक कर्म का दान लेता है - |
लो जी आ गया बजट अब तो खुश हो जाइए !!
पूरण खण्डेलवाल
ख़्वाब दिखाये मीडिया , सत्ता कर दे चूर | उच्च झाड़ पर चढ़ा के, झटका दे भरपूर | झटका दे भरपूर, मरे मनहूस मीडिया | मंहगाई दे मार, टैक्स में छूट ना दिया | खुद के पूरे ऐश, कमीशन भर भर खाए | रहा हमें है चूस, ग्रोथ के ख़्वाब दिखाए || |
बैसवारी baiswari
लगता है लिख जायगी, उपन्यास दमदार | रॉयल्टी कैसे बंटे, सब ना लेना मार | सब ना लेना मार, बराबर का हिस्सा है | एक अकेला नहीं, युगल युग का किस्सा है | नाले नदी कगार, प्यार अब भी है जगता | रविकर जी हलकान, उन्हें अच्छा ना लगता ||
छल कपटी आयात, जड़ों हिजड़ों की पीड़ा | करते दावा झूठ, फसल को खाता कीड़ा | बढे कर्ज का बोझ, बड़ी आबादी मरती | उत्पादन घट जाय, होय बंजर यह धरती || |
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Madan Mohan Saxena
उच्चस्तर पर सम्पदा, रहे भद्रजन लूट ।
संचित जस-तस धन करें, खुली मिली है छूट । खुली मिली है छूट, बटे डीरेक्ट कैश अब । मनरेगा से वोट, झपटता पंजा सरबस । लेकिन मध्यम वर्ग, गिरे गश खा कर रविकर । मंहगाई-कर जोड़, छुवें दोनों उच्चस्तर ॥ |
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सौदायिक बिन व्याहता, करने चली सिंगार |
गहने पहने मांग कर, लेती कई उधार | (भाजपा की ओर इशारा) लेती कई उधार, खफा पटना पटनायक | खानम खाए खार, करे खारिज खलनायक | (जदयू, बीजद , मुस्लिम)
हौदा हाथी रहित, साइकिल बिना घरौंदा |
नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा || (माया-मुलायम)
सौदायिक= स्त्री-धन
नइखे= नहीं
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बस तुम्हारी हँसी !!!
सदा
प्रियतम की मुस्कान का, निश्चित करती मोल |
पर आंसू की मोल को, नहीं रही तू खोल |
बेहतरीन लिंक्स एवं प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर आभार
सुन्दर लिंकों से सजा लिंक लिखाड़ !!
ReplyDeleteआभार !!
लिंक के अलावा आज का शीर्षक भी गजब और मजेदार है
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स | लाजवाब लेखन |
ReplyDeleteयहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
Nice.
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुतिकरण,शीर्षक तो लाजबाब.
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