हैप्पी बर्थड़े ... अम्मा !!
शिवम् मिश्रा
दादी को शुभकामना, कार्तिक का अंदाज | प्यारा प्यारा पौत्र दे, गोदी रहा विराज | गोदी रहा विराज, नाज करता दादी पर | मिला पिता विद्वान, शुक्रिया का यह अवसर | हों बुजुर्ग खुशहाल, सही सेहत आजादी | रविकर करे प्रणाम, खिलाये कार्तिक दादी || |
अभ्युदय के जन्मदिन पर
Kailash Sharma
खुशियाँ हो भरपूर, कीर्तिवान हो जगत में ।
हो मनोकामना-पूर्ण, प्यारे बाबा के सकल ।। बिद्या-बुद्धि शौर्य, शारद दुर्गा भेंटती । संयम निष्ठा धैर्य, मात-पिता गुरु से मिले ।। अभ्युदय खुशहाल, होय निरोगी देह पुष्ट । बाबा रहे सँभाल, बाबा को नित पूज रे ।। |
....बोझ
Saras
पोसा जाता इत अहम्, उत एक्स्ट्रा की चाह | अपने अपने कर्म पर, रखते युगल निगाह | रखते युगल निगाह, घरेलू जिम्मेदारी | मिलकर लेते बाँट, नहीं कोई आभारी | बढती जाए आयु, बढे कुछ अधिक भरोसा | ह्यूमर होता शून्य, अहम् दोनों ने पोसा || |
विषयी वतसादन वेश धरे विषठा भख भीषण रूप धरे । हतवीर्य हरे हथियाय हठात हताहत हेय कुकर्म करे । विषयी=कामुक वतसादन=भेड़िया विषठा=मल हतवीर्य=नपुंसक सुकुमारि सकारण युद्ध लड़े विषपुच्छन को बहुतै अखरे । मनसा कर निष्फल दुष्टन की मन सज्जन में शुभ जोश भरे । विषपुच्छन =विच्छू |
प्रवीण शाह
गोड़े उर्वर खेत को, काटे सज्जन वृन्द ।
इसके क्रिया-कलाप है, जमींदार मानिन्द ।
जमींदार मानिन्द , सताता रहे रियाया ।
मुजरिम देख दबंग, सामने जा रिरियाया ।
देख काल आपात, कमांडर तनहा छोड़े ।
लेकर भागे जान, पुलिस में भरे भगोड़े ॥
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ज़िया उल हक़ सीओ की हत्या पर समाज का एक विश्लेषण
DR. ANWER JAMAL
हरकत यह अच्छी नहीं, छोड़ सिपहसालार |
करे हवाले मौत के, होवें साथी पार |
होवें साथी पार, लड़ाई आर-पार की |
वर्दी को धिक्कार, जिंदगी ले उधार की -
होकर के सस्पेंड, दुबारा होगी शिरकत |
लेकिन अफसर अन्य, सहे ना इनकी हरकत ||
सम्बन्ध दर्शन और कविता काDr.J.P.Tiwari
pragyan-vigyan
चिंतन दर्शन सम हुआ, कविता है अभिव्यक्ति | वैज्ञानिक अध्यात्म से, ग्रहण करें नहिं शक्ति | ग्रहण करें नहिं शक्ति, भेद करना ही सीखा - करते वर्गीकरण, तर्क कर जाते तीखा | रविकर ताक अभेद, मिलें द्वय जुड़े चिरन्तन | कर मानव कल्याण, धर्म से सम्यक चिंतन || |
बहुत खूब!
ReplyDeleteशुक्रिया रविकर जी !!!
ReplyDelete1- हैप्पी बर्थड़े ... अम्मा !!
ReplyDelete2- अभ्युदय को जन्मदिन की शुभकामनाएँ!
बहुत सुन्दर काव्य-टिप्पणियां...आभार
ReplyDeleteखुशियाँ हो भरपूर, कीर्तिवान हो जगत में ।
ReplyDeleteहो मनोकामना-पूर्ण, प्यारे बाबा के सकल ।।
बिद्या-बुद्धि शौर्य, शारद दुर्गा भेंटती ।
संयम निष्ठा धैर्य, मात-पिता गुरु से मिले ।।
अभ्युदय खुशहाल, होय निरोगी देह पुष्ट ।
बाबा रहे सँभाल, बाबा को नित पूज रे ।। बहुत लाजबाब प्रस्तुति,,,
लाजबाब
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आदरणीय रविकर जी,
आपकी त्वरित काव्य-टीपें पोस्टों को एक नया आयाम दे जाती हैं... बहुत बहुत आभार आपका !
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