Saturday, 9 March 2013

टिके "वा-टिके" सीय, डराती दुष्टा कुलटा -



त्रिजटा के प्रति [ २८ कविताएं]

रवीन्द्र दास 
जटाटीर-कैलाश पर, जमते रक्तस्नायु |
रावण सीता को हरे, लड़ कर मरा जटायु |

लड़ कर मरा जटायु, मोक्ष प्रभु राम दिलाते |
क्षिति जल पावक वायु, गगन कुछ ना कर पाते |

टिके "वा-टिके" सीय, डराती दुष्टा कुलटा |
हिम्मत देती किन्तु, सदा बेनामी त्रिजटा ||



कोताही कर्तव्य में, मांगे नित अधिकार-
मोटी चमड़ी मनुज की, महाचंट मक्कार । 
कोताही कर्तव्य में, मांगे नित अधिकार । 
मांगे नित अधिकार,  हुआ है आग-बबूला । 
बोये पेड़ बबूल, आम पर झूले झूला । 
दे दूजे को सीख, रखे खुद नीयत खोटी । 
रविकर इन्हें सुधार, मार के चपत *चमोटी ॥ 
*चाबुक 

 
लटके झटके पाक हैं, पर नीयत नापाक |
ख्वाजा के दरबार में, राजा रगड़े नाक |

राजा रगड़े नाक, जियारत अमन-चैन हित |
हरदम हावी फौज, रहे किस तरह सुरक्षित |

बोल गया परवेज, परेशां पाकी बटके |
सिर पर उत तलवार, इधर कुल मसले लटके ||


हर-हर बम-बम, हर-हर बम-बम

 हर-हर  बम-बम,  बम-बम धम-धम |
तड-पत  हम-हम,  हर पल नम-नम ||

अकसर  गम-गम, थम-थम, अब थम |
शठ-शम शठ-शम, व्यरथम-व्यरथम ||

दम-ख़म, बम-बम, चट-पट  हट  तम |
तन  तन  हर-दम
*समदन सम-सम ||   
 *युद्ध


*करवर   पर  हम,  समरथ   सकछम |
अनरथ  कर कम, झट-पट  भर दम ||    
 *विपत्ति 
भकभक जल यम, मरदन  मरहम | 
हर-हर  बम-बम, हर-हर  बम-बम ||






5 comments:

  1. वाह गुरुवर | अद्भुत | पढ़कर रोमांचित हो गया ह्रदय | आभार |

    ReplyDelete
  2. आपको महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  3. मांगे नित अधिकार, हुआ है आग-बबूला ।
    बोये पेड़ बबूल, आम पर झूले झूला ।
    दे दूजे को सीख, रखे खुद नीयत खोटी ।
    रविकर इन्हें सुधार, मार के चपत *चमोटी ॥

    बहुत सटीक टिप्पणियाँ

    ReplyDelete
  4. जेनुअल आबेदीन को सलाम .जनरल विक्रम सिंह देश के सर्वोच्च शौर्य के प्रतीक है सलमान खुर्शीद जैसों को इन्हीं से कुछ दीन ईमान की दीक्षा ले लेनी चाहिए .बहुत बढ़िया प्रासंगिक आलेख .

    ReplyDelete