कौशिक सुनहुँ मंदु यहि बालक |
संकट-कारक करुण कुचालक |
यू पी घूमा बाँह चढ़ाए |
नहीं मुलायम धरती पाए |
माया महा ठगिन हम जानी |
चर्चित सत्ता रही कहानी |
यही बने अब जीवन-दाता |
पूजो बेटा पूजो माता ||
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मुर्दा मुद्दा जिया, हिलाता देश तमिलियन
मिलियन घपले से डिगी, कहाँ कभी सरकार ।
दंगे दुर्घटना हुवे, अति-आतंकी मार ।
अति-आतंकी मार, ख़ुदकुशी कर्जा कारण ।
मँहगाई भुखमरी, आज तक नहीं निवारण ।
काला भ्रष्टाचार, जमा धन बाहर बिलियन ।
मुर्दा मुद्दा जिया, हिलाता देश तमिलियन ॥
pramod joshi
इच्छाधारी सर्प हैं, हटे दृश्य वीभत्स |
नाग नाथ को नाथ ले, साँप नाथ का वत्स |
साँप नाथ का वत्स, अघासुर पड़ा अघाया |
हुई मुलायम देह, बहुत भटकाई माया |
मनुज वेश में आय, वोट की मांगे भिक्षा |
सुगढ़ सलोनी देह, होय देने की इच्छा ||
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जल है तो है कल सखे, जल बिन जग जल जाय |
कल बढ़ते कल-कल घटे, कल-बल कलकलियाय |
कल-बल कलकलियाय, खफा कुदरत हो जाती |
कुल कलई खुल जाय, हकीकत जीवन खाती |
मनु-जल्पक जा चेत, यही जल तो सम्बल है |
जग-जलसा तब तलक, शुद्ध जब तक यह जल है ||
कल=कल-कारखाना
कल-बल=दांव-पेंच
कलकलियाय = क्रोध बढाए
जल्पक=बकवादी
कल बढ़ते कल-कल घटे, कल-बल कलकलियाय |
कल-बल कलकलियाय, खफा कुदरत हो जाती |
कुल कलई खुल जाय, हकीकत जीवन खाती |
मनु-जल्पक जा चेत, यही जल तो सम्बल है |
जग-जलसा तब तलक, शुद्ध जब तक यह जल है ||
कल=कल-कारखाना
कल-बल=दांव-पेंच
कलकलियाय = क्रोध बढाए
जल्पक=बकवादी
किसे चुने हत्यारो और लुटेरों में ?
tarun_kt
यारा हत्यारा चुनो, बड़े लुटेरे दुष्ट | टेरे माया को सदा, करें बैंक संपुष्ट | करें बैंक संपुष्ट, बना देते भिखमंगा | मर मर जीना व्यर्थ, नाचता डाकू नंगा | हत्यारा है यार, ख़याल रख रहा हमारा | वह मारे इक बार, रोज मत मरना यारा || |
IRFAN
किडनी डी एम के गई, वेंटीलेटर पार ।
इन्ज्वायिंग मेजोरिटी, बोल गई सरकार ।
बोल गई सरकार, बहुत आनंद मनाया ।
त्राहि त्राहि इंसान, देखना भैया भाया ।
सत्ता का आनंद, हाथ की खुजली मिटनी ।
हाथी सैकिल बैठ, लूट लाएगा किडनी ।
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आधुनिक भारत की एक वीरांगना जिसने इस्लामिक आतंकियों से लगभग 400 यात्रियों की जान बचाते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया।
भारत योगी
जय जय जय जय नीरजा, चंडीगढ़ की शान | गन प्वाइंट पे ले चुके, आतंकी इक यान | आतंकी इक यान, सभी की जान बचाती | डाक टिकट सम्मान, शहादत देकर पाती | यह सच्ची आदर्श, कर्म कर जाती निर्भय | हे नीरजा भनोट, तुम्हारी जय हो जय जय || |
आदरणीय प्रतुल जी : आइये
इड़ा पिंगला साध लें, मिले सुषुम्ना गेह ।
बरस त्रिवेणी में रहा, सुधा समाहित मेह ।.. सुधा समाहित मेह, गरुण से कुम्भ छलकता । संगम दे सद्ज्ञान , बुद्धि में भरे प्रखरता । रविकर शिव-सत्संग, मगन-मन सुने इंगला । कर नहान तप दान, मिले वर इड़ा-पिंगला।
इंगला=पृथ्वी / पार्वती / स्वर्ग
इड़ा-पिंगला=सरस्वती-लक्ष्मी (विद्या-धन ) "ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-24 |
Drought in Maharashtra - Government and Beer Companies
@ महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar)
बीयर पी पी कोस ले, चल ले ढाई कोस |
इक मटकी पानी मिला, छिडको आये होश |
छिडको आये होश, जान जनता की अटकी |
दे बयान सरकार, फिरे फिर मटकी मटकी |
है सूखा विकराल, राल घोटो मत डीयर |
बीयर अति-उत्पाद, बैठकी होवे बीयर ||
@ महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar)
बीयर पी पी कोस ले, चल ले ढाई कोस |
इक मटकी पानी मिला, छिडको आये होश |
छिडको आये होश, जान जनता की अटकी |
दे बयान सरकार, फिरे फिर मटकी मटकी |
है सूखा विकराल, राल घोटो मत डीयर |
बीयर अति-उत्पाद, बैठकी होवे बीयर ||
वाह सर जी सुन्दर प्रस्तुतिओं को नवाजती बेहतरीन टिप्पणिओं के साथ सुन्दर समन्वय ,सादर
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक प्रस्तुति,बिभिन्न बिषयों पर पठनीय लिंक्स.
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स संयोजन ... आभार आपका
ReplyDeleteसुन्दर लिंक्स संयोजन ..
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति!
ReplyDeleteमेरा लिंक देने के लिए आभार...
ReplyDeleteजय हिंद...