राम वाण सा है असर, कसर अगर रह जाय |
डबल डोज करते चलें, रोगी दौड़ लगाय |
रोगी दौड़ लगाय, मिला ले अगर कराटे |
होवे काम तमाम, थूक कर रोगी चाटे |
बड़ी मानसिक व्याधि, नपुंसक परेशान सा |
चखे कसैला स्वाद, असर हो राम वाण सा ||
अज़ीज़ जौनपुरी : अज़ीज़ यूँ हीं नहीं दीवाना हुआ
Aziz Jaunpuri
गरदन झुकती इस तरह, चेहरा ही छुप जाय | शर्माना कैसा तिरा, ऐसे तो अकुलाय | ऐसे तो अकुलाय, कहीं कुछ गलत किया है | प्रेम भरा दिल कहीं, पटक कर तोड़ दिया है | रविकर चित्त अशांत, तोड़ नहिं पाये बन्धन | हामी ना भर पाय, झुके कैसे ना गरदन ||
करकश करकच करकरा, कर करतब करग्राह ।
तरकश से पुरकश चले, डूब गया मल्लाह ।
डूब गया मल्लाह, मरे सल्तनत मुगलिया ।
जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया ।
धर्म जातिगत भेद, याद आ जाते बरबस ।
जीता औरंगजेब, जनेऊ काटे करकश ।
करकश=कड़ा करकच=समुद्री नमक
करकरा=गड़ने वाला
कर = टैक्स
करग्राह = कर वसूलने वाला राजा
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तीन, तीन तेरह करे, मार्च पास्ट करवाय
तीन, तीन तेरह करे, मार्च पास्ट करवाय ।
धनहर-ईंधन धन हरे, धनहारी मुसकाय ।
धनहारी मुसकाय, आय व्यय का तखमीना ।
आग लगे धनधाम, चैन जनता का छीना ।
इ'स्कैम और इ' स्कीम, भाव इसमें हैं गहरे ।
धन्य धन्य सरकार, तीन, तीन तेरह करे ॥
धनहर=धन चुराने वाला
धनहारी = दूसरे के धन का उत्तराधिकारी
धनधाम=रूपया पैसा और घरबार
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
राना जी छत पर पड़े, गढ़ में बड़े वजीर |
नई नई तरकीब से, दे जन जन को पीर | दे जन जन को पीर, नीर गंगा जहरीला | मँहगाई *अजदहा, समूचा कुनबा लीला | रविकर लीला गजब, मरे कुल नानी नाना | बजट बिराना पेश, देखता रहा बिराना || **अजदहा=बड़ा अजगर बिराना=पराया / मुँह चिढाना
तमांचे की गूंजSaleem akhter Siddiqui
हक बात
माचा मचिया मंच है, बोरा धरती धूल | महाजनों के लिए ही, बच्चे बगिया फूल | बच्चे बगिया फूल, मूल में स्वार्थ छुपाये | रहा सकल हित साध, किन्तु परमार्थ कहाए | नन्हें मुन्हें बाल, प्यार से कहते चाचा | इक छोटी सी भूल, लगाता चचा तमाचा || |
राम वाण सा है असर, कसर अगर रह जाय |
ReplyDeleteडबल डोज करते चलें, रोगी दौड़ लगाय |
रोगी दौड़ लगाय, मिला ले अगर कराटे |
होवे काम तमाम, थूक कर रोगी चाटे |
बड़ी मानसिक व्याधि, नपुंसक परेशान सा |
चखे कसैला स्वाद, असर हो राम वाण सा ||
बढ़िया काव्यात्मक टिपण्णी लघु कथा पर .
बहुत बढ़िया लिंक्स | पढ़कर आनंद आया |
ReplyDeleteयहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
वाह...!
ReplyDeleteबहुत सटीक टिप्पणियाँ की हैं आपने!
बेहतरीन लिंक्स, आनंद दायक प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteआपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 04-03-2013 को सोमवारीय चर्चा : चर्चामंच-1173 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
सुंदर !
ReplyDeleteसटीक टिप्पड़ीयों से अलंकृत प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत खूब सुन्दर लाजबाब अभिव्यक्ति।।।।।।
ReplyDeleteमेरी नई रचना
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?
ये कैसी मोहब्बत है