Saturday, 9 March 2013

ख्वाजा के दरबार में, राजा रगड़े नाक -



 सोने पे सुहागा  

औरत रत निज कर्म में, मिला सफलता मन्त्र । 

  सेहत से हत भाग्य पर, नरम सुरक्षा तंत्र । 

नरम सुरक्षा तंत्र, जरायम बढ़ते जाते । 

करता हवश शिकार, नहीं कामुक घबराते । 

जिन्सी ताल्लुकात, तरक्की करता भारत । 

  शादी बिन बारात, बिचारी अब भी औरत ॥



बोल गया परवेज, परेशां पाकी बटके -




लटके झटके पाक हैं, पर नीयत नापाक |
ख्वाजा के दरबार में, राजा रगड़े नाक |

राजा रगड़े नाक, जियारत अमन-चैन हित |
हरदम हावी फौज, रहे किस तरह सुरक्षित |

बोल गया परवेज, परेशां पाकी बटके |
सिर पर उत तलवार, इधर कुल मसले लटके || 

कोताही कर्तव्य में, मांगे नित अधिकार-

मोटी चमड़ी मनुज की, महाचंट मक्कार । 
कोताही कर्तव्य में, मांगे नित अधिकार । 

मांगे नित अधिकार,  हुआ है आग-बबूला । 
बोये पेड़ बबूल, आम पर झूले झूला । 

दे दूजे को सीख, रखे खुद नीयत खोटी । 
रविकर इन्हें सुधार, मार के चपत *चमोटी ॥ 
*चाबुक 


डॉ शिखा कौशिक ''नूतन '' 
छोड़े सज्जन शॉर्टकट, उधर भयंकर लूट |
देर भली अंधेर से, पकड़ें लम्बा रूट |

पकड़ें लम्बा रूट, बड़ी सरकार निकम्मी |
चुनो सुरक्षित मार्ग, सिखाते पापा मम्मी |

लिए नौ लखा हार, सुरक्षा घेरा तोड़े |
 बाला लापरवाह, लुटा करके ही छोड़े ||

 nayee udaan 
हारा कुल अस्तित्व ही, जीता छद्म विचार |
वैदेही तक देह कुल, होती रही शिकार |



होती रही शिकार, प्रपंची पुरुष विकारी |
चले चाल छल दम्भ, मकड़ जाले में नारी |



सहनशीलता त्याग, पढाये पुरुष पहारा |
ठगे नारि को रोज, झूठ का लिए सहारा ||




मूर्ख दिवस या नारी दिवस ...?


tarun_kt 






हिला हिला सा हिन्द है, हिले हिले लिक्खाड़ |

भांजे महिला दिवस पर, देते भूत पछाड़ |



देते भूत पछाड़, दहाड़े भारत वंशी |

भांजे भांजी मार, चाल चलते हैं कंसी |



बड़े ढपोरी शंख, दिखाते ख़्वाब रुपहला |  

महिला नहिं महफूज, दिवस बेमकसद महिला || 

हर-हर बम-बम, हर-हर बम-बम




हर-हर  बम-बम,  बम-बम धम-धम |
तड-पत  हम-हम,  हर पल नम-नम ||

अक्सर  गम-गम, थम-थम, अब थम |
शठ-शम शठ-शम, व्यर्थम  -  व्यर्थम ||

दम-ख़म, बम-बम, चट-पट  हट  तम |
तन  तन  हर-दम
*समदन सम-सम ||  
   *युद्ध

4 comments:

  1. मोटी चमड़ी मनुज की, महाचंट मक्कार ।
    कोताही कर्तव्य में, मांगे नित अधिकार ।
    मांगे नित अधिकार, हुआ है आग-बबूला ।
    बोये पेड़ बबूल, आम पर झूले झूला ।
    दे दूजे को सीख, रखे खुद नीयत खोटी ।
    रविकर इन्हें सुधार, मार के चपत *चमोटी ॥

    बहुत बेहतरीन रविकर जी,,,,

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (10-03-2013) के चर्चा मंच 1179 पर भी होगी. सूचनार्थ

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  3. गुरूजी बहुत ही बढ़िया | आपकी पोस्ट पढ़कर आनंद आ जाता है |

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  4. बहुत उम्दा!
    --
    महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ...!

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