Wednesday, 13 March 2013

बड़ी बुआ का घर मिला, भैया फुफ्फु जात-


टुकड़े टुकड़े मन ...

pankhuri goel  

आकांक्षा छूने चली, उचक उचक आकाश |
नखत चकाचक टिमटिमा, उड़ा रहे उपहास-



इटली वालों तुम्हारी ......!

पी.सी.गोदियाल "परचेत"  

बड़ी बुआ का घर मिला, भैया फुफ्फु जात । 
क्वात्रोची दादा सरिस, अपने रिश्ते नात । 

अपने रिश्ते नात, यहाँ  जलवा है भारी । 
भारत के अभिजात, मानते हैं महतारी । 

बाल न बांका होय, अगर अपना हो आका । 
काके रह  निश्चिन्त, स्नेह है बड़ी बुआ का ॥

उम्‍मीदों के जुगनु !!!!


सदा 
 SADA  

धूप-हौसले से सदा, पिघले हिम-परवाह |
जल-प्रवाह से मनुज यह, पाए जीवन थाह-


अजमा ले गर जोर, नहीं कानून टूटता-

अट्ठारह से कम वयस, बल्ले बल्ले बोल ।
सोलह की लेगा पटा, विद्यालय में डोल ।
विद्यालय में डोल, पटा के मजा लूटता ।
अजमा ले गर जोर, नहीं कानून टूटता ।
मजनूं कालेज छोड़, इधर हो रहे इकट्ठा ।
विद्यालय का मोड़, रोज जाता अब पट्ठा ॥


अट्ठारह सोलह लड़े, भूला सतरह साल-

अट्ठारह सोलह लड़े, भूला सतरह साल |
कम्प्रोमाइज करो झट, टालो तर्क बवाल |
टालो तर्क बवाल, आयु सतरह करवाओ  |
करो नहीं  अंधेर,  सख्त कानून बनाओ |
फास्ट ट्रैक में केस, जड़ों पे डालो मठ्ठा |
नाशों पाप समूल, बिठा मत मंत्री भट्ठा ||

जीवन चक्र

तुषार राज रस्तोगी 
 तमाशा-ए-जिंदगी
प्रश्न मोक्ष का है खड़ा, लेकर गजब तिलस्म |
कई तीन-तेरह हुवे, चले अनवरत रस्म ||







 सुनी सनाई बात पर , मत करना विश्वास |
अंतरात्मा जो कहे, वही सत्य है ख़ास ||



विफल होती हमारी विदेशनीति खतरा बढ़ा रही है !!


पूरण खण्डेलवाल 

टिटिहरी मारक तभी, जब अण्डों पर घात । 
अन्यथा बैठी रहे, करती पश्चाताप । 
करती पश्चाताप, पाक भी शीश काट दे । 
चॉपर लिया खरीद, दलाली यहाँ बाँट दे । 
मल्लाहों को मार, भागते सैनिक इटली । 
विफल हो रही नीति, बड़े सस्ते में बिकली -

फागुन आने को है (बुधवार की चर्चा-1182)

जन्म-दिवस की शुभकामनायें  
 कविवर हे इंजीनियर, प्रभु-प्रिय मित्र प्रदीप |
बार बार शुभकामना, रहते हृदय समीप | 

रहते हृदय समीप, यशस्वी होवे जीवन |
सुख समृद्ध सौहार्द, ख़ुशी से किलके आँगन |

रहो हमेशा स्वस्थ, बढे बल-विद्या रविकर |

है प्रभु का आशीष, कीजिये कविता कविवर ||
साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं ) 

अर्ज सुनिये

कोई चारा है नहीं, बेचारा गोपाल |
गोकुल से कब का गया, गोपी कुल बेहाल |


गोपी कुल बेहाल, पञ्च कन्या पांचाली |
बढ़ा बढ़ा के चीर, बचाया उसको खाली |


वंशी भी बेचैन, ताल सुर वाणी खोई |
खुद बन दुर्गा शक्ति, नहीं आयेगा कोई ||

काजल कुमार Kajal Kumar 

 लूट लूट कर पास रख, नियमित करके पास । 
 मुझको अपना ले बना, नक्सल जैसा दास । 

नक्सल जैसा दास, लाल गलियारा देखो । 
हर चुनाव में जीत, कभी नहिं हारा देखो । 
चम्बल का बल मान, बोल दे फूट फूट कर । 
संरक्षण दे अगर, बूथ दूँ लूट लूट कर ॥  
सुज्ञ  
लो हा हा सुन लो विकट, कण-लोहा पर मार |
लौह हथौड़ा पीटता, कण चिल्लाय अपार |

कण चिल्लाय अपार, नहीं सह पाता चोटें |
रहा बिरादर मार, होय दिल टोटे टोटे |

अपनों की यह मार, नहीं लोहा को सोहा ||
स्वर्ण सहे चुपचाप, चोट मारे जब लोहा |




मनसायन आयन मन्मथ भायन मानस वेग बढ़ा कसके |
रजनी सजनी मधुचन्द मिली, मकु खेल-कुलेल पड़ा लसके-
अब स्वप्न भरोस करे मनुवा पिय आय रहो हिय में बसके-
खट राग लगे कुल रात जगे मन मौज करे रजके हँसके |

10 comments:

  1. आदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम हर बार की तरह लाजवाब कुण्डलिया हार्दिक बधाई

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  2. लिंक लिक्खाड़ पर आ गए,रविकर जी आभार |
    जोश बढाया आपने ,बधाई हो स्वीकार ||

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  3. लिंक लिक्खाड़ पर आ गए ,रविकर जी आभार |
    जोश बढाया आपने , बधाई हो स्वीकार ||

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  4. अपनों की यह मार, नहीं लोहा को सोहा |
    स्वर्ण सहे चुपचाप, चोट मारे जब लोहा |

    लाजबाब और बेहतरीन कुण्डलियाँ,सादर अभार.

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  5. इटली वालों तुम्हारी ......!पूरी गाली दो ........भाई साहब ..

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    1. हा-हा-हा-हा।।।। ये वीरेन्द्र जी भी मुझे पिटवाने के मूड में लगते है :)

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  6. आभार रविकर जी , आपने भी अच्छा जुमला फेंका है :)

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  7. बहुत बढ़िया सुसज्जित लिंक्स गुरूजी | बधाई

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