टुकड़े टुकड़े मन ...
pankhuri goel
आकांक्षा छूने चली, उचक उचक आकाश |
नखत चकाचक टिमटिमा, उड़ा रहे उपहास-
इटली वालों तुम्हारी ......!
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
बड़ी बुआ का घर मिला, भैया फुफ्फु जात ।
क्वात्रोची दादा सरिस, अपने रिश्ते नात ।
अपने रिश्ते नात, यहाँ जलवा है भारी ।
भारत के अभिजात, मानते हैं महतारी ।
बाल न बांका होय, अगर अपना हो आका ।
काके रह निश्चिन्त, स्नेह है बड़ी बुआ का ॥
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अजमा ले गर जोर, नहीं कानून टूटता-
अट्ठारह से कम वयस, बल्ले बल्ले बोल ।
सोलह की लेगा पटा, विद्यालय में डोल ।
विद्यालय में डोल, पटा के मजा लूटता ।
अजमा ले गर जोर, नहीं कानून टूटता ।
मजनूं कालेज छोड़, इधर हो रहे इकट्ठा ।
विद्यालय का मोड़, रोज जाता अब पट्ठा ॥
अट्ठारह सोलह लड़े, भूला सतरह साल-
अट्ठारह सोलह लड़े, भूला सतरह साल |
कम्प्रोमाइज करो झट, टालो तर्क बवाल |
टालो तर्क बवाल, आयु सतरह करवाओ |
करो नहीं अंधेर, सख्त कानून बनाओ |
फास्ट ट्रैक में केस, जड़ों पे डालो मठ्ठा |
नाशों पाप समूल, बिठा मत मंत्री भट्ठा ||
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जीवन चक्र
तुषार राज रस्तोगीसुनी सनाई बात पर , मत करना विश्वास | अंतरात्मा जो कहे, वही सत्य है ख़ास ||
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आदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम हर बार की तरह लाजवाब कुण्डलिया हार्दिक बधाई
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ReplyDeleteलिंक लिक्खाड़ पर आ गए,रविकर जी आभार |
जोश बढाया आपने ,बधाई हो स्वीकार ||
लिंक लिक्खाड़ पर आ गए ,रविकर जी आभार |
ReplyDeleteजोश बढाया आपने , बधाई हो स्वीकार ||
अपनों की यह मार, नहीं लोहा को सोहा |
ReplyDeleteस्वर्ण सहे चुपचाप, चोट मारे जब लोहा |
लाजबाब और बेहतरीन कुण्डलियाँ,सादर अभार.
इटली वालों तुम्हारी ......!पूरी गाली दो ........भाई साहब ..
ReplyDeleteहा-हा-हा-हा।।।। ये वीरेन्द्र जी भी मुझे पिटवाने के मूड में लगते है :)
Deleteआभार रविकर जी , आपने भी अच्छा जुमला फेंका है :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सुसज्जित लिंक्स गुरूजी | बधाई
ReplyDeleteवाह...!
ReplyDeleteसुन्दर टिप्पणियाँ!