इश्क़ में भी अपनी अक्ल और बिज़नेस ख़राब नहीं करता बड़ा ब्लॉगर
नामी ब्लॉगर हो गया, पाया बड़े इनाम |
इश्क-मुहब्बत भूल के, करे काम ही काम | करे काम ही काम, किताबें दस छपवाईं | खर्च रुपैया नाम, कदाचित नहीं बुराई | पर रविकर कंजूस, भरे रुपिया ना हामी | पुस्त-प्रकाशन शून्य, हुआ ना अभी इनामी || |
लीक-खींचना है भला, लीक-पीटना हेय | बाबा का यह कूप है, इसीलिए जल पेय | इसीलिए जल पेय, प्रदूषित चाहे जितना | बरसे झम झम मेह, होय क्या उससे हित ना | अपनी अपनी सोच, सोच से आँख मीच ना | लिखे लेखनी लेख्य, अनवरत लीक खींचना || |
सुनिए यह चित्कार, बुलाये रविकर पातक -
तक तक कर पथरा गईं, आँखे प्रभु जी आज |
कब से रहा पुकारता, बैठे कहाँ विराज | बैठे कहाँ विराज, हृदय से सदा बुलाया । नाम कृपा निधि झूठ, कृपा अब तक नहिं पाया | सुनिए यह चित्कार, बुलाये रविकर पातक | मिटा अन्यथा याद, याद प्रभु तेरी घातक ॥ |
आदरणीय रविकर जी ! बड़ा ब्लॉगर बिना पैसे दिए भी ईनाम झटक लेता है बल्कि ईनामदारों से रक़म भी झटक लेता है। यहां बड़े बड़े छल प्रपंच चल रहे हैं। आप हिंदी ब्लॉगिंग के गोल्डन काल के बाद आए हैं। आप ज़रा सा चूक गए हैं वर्ना आपको बड़े अदभुत नज़ारे देखने को मिले होते।
ReplyDeleteख़ैर, आपको भी भाई लोग बिना ईनाम दिए छोड़ने वाले नहीं हैं।
:)
पेशगी शुभकामनाएं !
http://blogkikhabren.blogspot.com/2013/03/ishq.html
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसादर
नीरज 'नीर'
मेरी नयी कविता
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा)
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (13-03-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
ReplyDeleteसूचनार्थ |
हा हा हा हा हा ..... गुरूजी सही है .... अब पुस्तक छपवा ही लो आप |
ReplyDeleteनामी ब्लॉगर हो गया, पाया बड़े इनाम |
ReplyDeleteइश्क-मुहब्बत भूल के, करे काम ही काम |
करे काम ही काम, किताबें दस छपवाईं |
खर्च रुपैया नाम, कदाचित नहीं बुराई |
पर रविकर कंजूस, भरे रुपिया ना हामी |
पुस्त-प्रकाशन शून्य, हुआ ना अभी इनामी ||,,,,,बहुत उम्दा,,,,
Recent post: होरी नही सुहाय,
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ReplyDelete.
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वाह,
पोस्टों से बढ़कर तो आपकी त्वरित-काव्य-टीपें हैं...
आभार!
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सभी लिंक्स बेहतरीन और खूबशूरत
ReplyDeleteबढिया लिंक्स
ReplyDeleteक्या बात
सुनिए यह चित्कार, बुलाये रविकर पातक -
ReplyDeleteतक तक कर पथरा गईं, आँखे प्रभु जी आज |
कब से रहा पुकारता, बैठे कहाँ विराज |
बैठे कहाँ विराज, हृदय से सदा बुलाया ।
नाम कृपा निधि झूठ, कृपा अब तक नहिं पाया |
सुनिए यह चित्कार, बुलाये रविकर पातक |
मिटा अन्यथा याद, याद प्रभु तेरी घातक ॥
भाई साहब आपकी साख के अनुरूप बहुत उत्तम कुंडली .बधाई .कल तबीयत ज्यादा खराब होने से चर्चा मंच छूट गया था इसीलिए आज कोई जोखिम नहीं उठाया ..
ReplyDeleteसादर जन सधारण सुचना आपके सहयोग की जरुरत
साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )