Monday, 11 March 2013

नारा नारीखोर, लगा सड़कों पर नारा-


 

भाये ए सी की हवा, डेंगू मच्छर दोस्त ।
फल दल पादप काटते, काटे मछली ग़ोश्त ।

काटे मछली ग़ोश्त, बने टावर के जंगल ।
टूंगे जंकी टोस्ट, रोज जंगल में मंगल ।

खाना पीना मौज, मगन मनुवा भरमाये ।
काटे पादप रोज, हरेरी ज्यादा भाये ।।



नारा की नाराजगी, जगी आज की भोर-

 नारा की नाराजगी, जगी आज की भोर । 
यह नारा कमजोर था, नारा नारीखोर । 
नारा नारीखोर, लगा सड़कों पर नारा । 
नर नारी इक साथ, देश सारा हुंकारा। 
कर के पश्चाताप, मुख्य आरोपी मारा । 
  नेता नारेबाज, पाप से करो किनारा ॥ 


कार्टून कुछ बोलता है - एक उभरते उम्मीदवार का अंत !


पी.सी.गोदियाल "परचेत" 

कई दरिन्दे शेष है, मरते हैं मर जाँय |
मारे मारे शर्म के, कुल मारे लटकाय ||

कुण्डलिया : नरेन्द्र मोदी की तरफ से-

हमने भी की गलतियाँ, मिले शर्तिया दंड |
शिकायतें भी हैं कई, किन्तु नहीं उद्दंड |

किन्तु नहीं उद्दंड, सिपाही भारत माँ का |
सेवा करूँ अखंड, करे ना कोई फांका |

सभी हाथ को काम, ग्रोथ नहिं देंगे कमने | 
स्वास्थ्य सुरक्षा शान्ति, शपथ दुहराई हमने ||


  Rajendra Kumar 

जाला काटे हौसला, अब हिम्मत मत हार |
कर के दृढ़ संकल्प तू, ले जिंदगी सुधार ||

2 comments:

  1. बहुत ही अच्छी रचना है आपकी..... आभार

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