पाकिस्तानी नेशनल, असेम्बली दे घाव-
पाकिस्तानी नेशनल, असेम्बली दे घाव ।
अफजल फांसी पर करे, यह निंदा प्रस्ताव ।
यह निंदा प्रस्ताव, लाश परिजन को जाए ।
देता दुष्ट सुझाव, दोगलापन भरमाये ।
गायब सैनिक शीश, काट कर कारस्तानी ।
गिरेबान में झाँक, स्वयं के पाकिस्तानी ॥
|
हमारी गलतियों का खामियाजा तो हमें हि भुगतना होगा !!
पूरण खण्डेलवाल
कर्णधार का हो रहा, विकृत कर्णाधार |
गीदड़ भभकी दे रही, यह छक्का सरकार |
यह छक्का सरकार, नहीं पक्का है एक्सन |
हित साधे परिवार, खूब खा रहे कमीशन |
हँसता मइका देश, पक्ष ले दुराचार का |
रही नहीं जूँ रेंग, सड़ा जी कर्णधार का |
मौज करो दो साल, नहीं तू बालिग बेटा-
(1)
लड़का कालेज छोड़ता, भाँप रिस्क आसन्न |
क्लास-मेट को हर समय, करना पड़े प्रसन्न | करना पड़े प्रसन्न, धौंस हर समय दिखाती | काला चश्मा डाल, केस का भय दिखलाती | है इसका क्या तोड़, रोज देती हैं हड़का | लूंगा आँखे फोड़, आज बोल है लड़का ||
(2)
बेटा भूलो नीति को, काला चश्मा डाल ।
दुनिया के करते चलो, सारे कठिन सवाल ।
सारे कठिन सवाल, भोग सहमति से करना ।
पूछ उम्र हर हाल, नहीं तो करना भरना ।
संस्कार जा भूल, पडेगा नहीं चपेटा ।
मौज करो दो साल, नहीं तू बालिग बेटा ॥
|
क्या हमारे भगवानो को शर्म भी आती होगी ?
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
ठलुवा कलुवा कर रहा, फिर से बेडा गर्क |
राकस को वरदान दे, पैदा करता फर्क |
पैदा करता फर्क, नर्क का भय नहीं होता |
मारे सज्जन वृन्द, धरा को गहिर डुबोता,
लिया सुअर अवतार, ढूँढ़ता फिरता कलुवा |
ठेलुवन सा नित खेल, करे यह बडका ठलुवा ||
देव आशीष
Maheshwari kaneri
पौरा पोतक पौत्र पे, करे निछावर प्यार । माया बंधन ना कहें, यह है स्नेह दुलार । यह है स्नेह दुलार, मुबारक होवे दादी । देखभाल खिलवाड़, करो नित नहीं मुनादी । रविकर का आशीष, ख़ुशी से गूंजे चौरा । रहे स्वस्थ सानन्द, होय बल बुद्धि पौरा ॥ पौरा =आगमन |
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की)
आये नए जमाने में हैं गजब परिंदे - पंखों शरीर पर रेजर तेज बांधता है - ताके लिए नज़ारे पीछा किया तो समझो- पाओ नहीं जमानत जेल कौंधता है-
|
सही और सटीक कुंडलियाँ !!
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार
आभार !
ReplyDeleteप्रासंगिक व्यंग्य प्रधान रचना .
ReplyDeleteअर्थपूर्ण लिनक्स से अवगत कराने और मेरी रचना को मान देने के लिए शुक्रिया :-)
ReplyDeleteघनाक्षरी
ReplyDeleteसहमति संभोग हैं , बेशर्म बड़े लोग हैं -
पतनोमुखी योग हैं, कानून ले आइये ।
अठारह से घटा के, तो सोलह में पटा के
नैतिकता को हटा के, संस्कार भुलाइये ।
लडको की आँख फोड़, करें नहीं जोड़ तोड़
कानून का है निचोड़, रस्ता भूल जाइये ।
नीति सत्ताधारियों की, जान सदाचारियों की, ।
"लाज आज नारियों की, देश में बचाइये ।
(लड़कों ,)बढ़िया घनाक्षरी .बधाई .
सभी टिप्पणियाँ बहुत अच्छी लगीं!
ReplyDeleteमान्य वर आप की इस लेखनी को तथा इन सुंदर भावों को मेरा नमन...
ReplyDeleteआदरणीय रविकर जी प्रणाम ,
ReplyDeleteहार्वर्ड पढ़ पढ़ मन मुआ , कारज हुवा ना कोय
पढ़े जो मानस वतन का सोई अन्ना मोदी होय
जय हो ! शुभ हो !