Kumar Gaurav Ajeetendu
सिंहनाद -
कीमत की-मत बात कर, मत मतलब से डाल |
डाल डाल उल्लू दिखें, अपनी जात सँभाल | अपनी जात सँभाल, वोट जस रोटी बेटी | जाय भाड़ में देश, सियासत मटिया-मेटी | भाषा धर्म प्रदेश, यहीं तक बाँट गनीमत | वोट कभी मत बेंच, वोट की समझो कीमत || |
असाढ़ का कर्ज
नीरज-नीर बेबाकी से कर रहे, बाकी काम तमाम | चालाकी से नहीं हो, करते सब कुछ राम || |
man ka manthan. मन का मंथन।
सौतन से मिल लो जरा, जहर पिलाती आय | युगल अधर चिपके पड़े, देह अधर में जाय || |
मौज करो दो साल, नहीं तू बालिग बेटा-
(1)
लड़का कालेज छोड़ता, भाँप रिस्क आसन्न |
क्लास-मेट को हर समय, करना पड़े प्रसन्न | करना पड़े प्रसन्न, धौंस हर समय दिखाती | काला चश्मा डाल, केस का भय दिखलाती | है इसका क्या तोड़, रोज देती हैं हड़का | लूंगा आँखे फोड़, आज बोल है लड़का ||
(2)
बेटा भूलो नीति को, काला चश्मा डाल ।
दुनिया के करते चलो, सारे कठिन सवाल ।
सारे कठिन सवाल, भोग सहमति से करना ।
पूछ उम्र हर हाल, नहीं तो करना भरना ।
संस्कार जा भूल, पडेगा नहीं चपेटा ।
मौज करो दो साल, नहीं तू बालिग बेटा ॥
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बेटा भेजूं हाट, समय-गति गत कर काटे -
काटे गए दरख्त हैं, बूढ़ पुरनियाँ रूग्न |
बीज नए यूरोप के, उगते पादप *भुग्न |
उगते पादप *भुग्न, महामारी फैलेगी |
हुवे अधिनियम सख्त, त्रास लडको को देगी |
मिले विकट हथियार, कलेजा रविकर फाटे |
बेटा भेजूं हाट, समय-गति गत कर काटे ||
*वक्र / टेढ़ा |
माया के जंजाल की, बड़ी मुलायम काट |
लेकिन वह अखिलेश भी, करता बन्दरबांट |
करता बन्दरबांट, धकेले भर भर कुप्पा |
जहाँ खड़ी हो खाट, बैठ जाता वह चुप्पा |
यमुना कुंडा ख़ास, कुम्भ भरदम भटकाया |
खोवे होश-हवास, खड़ी मुस्काये माया-
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bahut hi khubsurat link
ReplyDeleteवाह.... बहुत बढ़िया काव्यमयी टिप्पणियाँ!
ReplyDeleteवाह.... बहुत उम्दा टिप्पणियाँ
ReplyDeleteRecent Post: सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार,
बेहतरीन ..रचनाओं पर रचना ..जवाब नहीं है आपका ..सादर
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