सन्देश: 31 मार्च तक ब्लॉग जगत से दूर हूँ-रविकर 
शुभ-होली
पहलवान हो गधा, बाप अब कहे सियासत -
बेचारा रविकर फँसा,  इक टिप्पण आतंक । 
जैसे बैठा सिर मुड़ा, ओले पड़ते-लंक ।   
ओले पड़ते-लंक, करुण कर गया हिमाकत । 
पहलवान हो गधा,  बाप अब कहे सियासत। 
बेनी जाती टूट,  किंवारा खुलता सारा । 
दिखता पर्दा टाट,  हुआ चारा बे-चारा ।  
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मुर्दा मुद्दा जिया, हिलाता देश तमिलियन
मिलियन घपले से डिगी, कहाँ कभी सरकार ।  
दंगे दुर्घटना हुवे, अति-आतंकी मार । 
 
अति-आतंकी मार, ख़ुदकुशी कर्जा कारण ।  
मँहगाई भुखमरी, आज तक नहीं निवारण । 
 
काला भ्रष्टाचार, जमा धन बाहर बिलियन ।  
मुर्दा मुद्दा जिया, हिलाता देश तमिलियन ॥  
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Drought in Maharashtra - Government and Beer Companies 
@ महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar)   बीयर पी पी कोस ले, चल ले ढाई कोस | इक मटकी पानी मिला, छिडको आये होश | छिडको आये होश, जान जनता की अटकी | दे बयान सरकार, फिरे फिर मटकी मटकी | है सूखा विकराल, राल घोटो मत डीयर | बीयर अति-उत्पाद, बैठकी होवे बीयर ||  | 
 
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हलके में घुस कर करे, मछुवारों का क़त्ल | 
कातिल इटली जा बसे, नहीं दिखाते शक्ल | 
 
नहीं दिखाते शक्ल, अक्ल सत्ता गुम जाए | 
राजदूत पर रोब, इधर सरकार दिखाए | 
 
यू पी ए की बॉस, डपटती खूब टहल के | 
इटली अब जा चेत, हमें ना लेना हलके ||  | 
 
सम-लैंगिकता खुश हुई, बोले जय सरकार
(ब्वायज-मेस की चर्चा पर आधारित ) 
लड़के भूले नैनसुख, प्रेम-धर्म तकरार।  
सम-लैंगिकता खुश हुई, बोले जय सरकार ।  
 
बोले जय सरकार, चले वो गली छोड़ के ।  
अफ़साना नाकाम,  मजे में मोड़ मोड़ के ।  
जमानती नहिं जुल्म, व्यर्थ झंझट में पड़के ।  
हवालात की बात, बड़ा घबराते लड़के ॥  
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जल है तो है कल सखे, जल बिन जग जल जाय | 
कल बढ़ते कल-कल घटे, कल-बल कलकलियाय | कल-बल कलकलियाय, खफा कुदरत हो जाती | कुल कलई खुल जाय, हकीकत जीवन खाती | मनु-जल्पक जा चेत, यही जल तो सम्बल है | जग-जलसा तब तलक, शुद्ध जब तक यह जल है || कल=कल-कारखाना कल-बल=दांव-पेंच कलकलियाय = क्रोध बढाए जल्पक=बकवादी  | 
 
कौशिक सुनहुँ मंदु यहि बालक | 
 संकट-कारक करुण कुचालक  | 
यू पी घूमा बाँह चढ़ाए  |  
नहीं मुलायम धरती पाए | 
माया महा ठगिन हम जानी |  
चर्चित सत्ता रही कहानी | 
यही बने अब जीवन-दाता |  
पूजो बेटा पूजो माता || 
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बेहतरीन लिंक्स सन्योजित किये हैं आपने.... आभार
ReplyDeleteहोली की रंगीन हलचल .. भई वाह ...
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