विफल होती हमारी विदेशनीति खतरा बढ़ा रही है !!
पूरण खण्डेलवाल
टिटिहरी मारक तभी, जब अण्डों पर घात ।
अन्यथा बैठी रहे, करती पश्चाताप ।
करती पश्चाताप, पाक भी शीश काट दे ।
चॉपर लिया खरीद, दलाली यहाँ बाँट दे ।
मल्लाहों को मार, भागते सैनिक इटली ।
विफल हो रही नीति, बड़े सस्ते में बिकली -
|
फागुन आने को है (बुधवार की चर्चा-1182)
जन्म-दिवस की शुभकामनायें
कविवर हे इंजीनियर, प्रभु-प्रिय मित्र प्रदीप | बार बार शुभकामना, रहते हृदय समीप | रहते हृदय समीप, यशस्वी होवे जीवन | सुख समृद्ध सौहार्द, ख़ुशी से किलके आँगन | रहो हमेशा स्वस्थ, बढे बल-विद्या रविकर | है प्रभु का आशीष, कीजिये कविता कविवर || |
साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )
अर्ज सुनियेकोई चारा है नहीं, बेचारा गोपाल |गोकुल से कब का गया, गोपी कुल बेहाल | गोपी कुल बेहाल, पञ्च कन्या पांचाली | बढ़ा बढ़ा के चीर, बचाया उसको खाली | वंशी भी बेचैन, ताल सुर वाणी खोई | खुद बन दुर्गा शक्ति, नहीं आयेगा कोई || |
काजल कुमार Kajal Kumar
लूट लूट कर पास रख, नियमित करके पास ।
मुझको अपना ले बना, नक्सल जैसा दास ।
नक्सल जैसा दास, लाल गलियारा देखो ।
हर चुनाव में जीत, कभी नहिं हारा देखो ।
चम्बल का बल मान, बोल दे फूट फूट कर ।
संरक्षण दे अगर, बूथ दूँ लूट लूट कर ॥
|
सुज्ञ
लो हा हा सुन लो विकट, कण-लोहा पर मार |
लौह हथौड़ा पीटता, कण चिल्लाय अपार | कण चिल्लाय अपार, नहीं सह पाता चोटें | रहा बिरादर मार, होय दिल टोटे टोटे | अपनों की यह मार, नहीं लोहा को सोहा || स्वर्ण सहे चुपचाप, चोट मारे जब लोहा | |
मनसायन आयन मन्मथ भायन मानस वेग बढ़ा कसके |
रजनी सजनी मधुचन्द मिली, मकु खेल-कुलेल पड़ा लसके- अब स्वप्न भरोस करे मनुवा पिय आय रहो हिय में बसके- खट राग लगे कुल रात जगे मन मौज करे रजके हँसके | |
बढ़िया काव्य टीका -टिपण्णी रविकर जी !
ReplyDeleteकविवर हे इंजीनियर, प्रभु-प्रिय मित्र प्रदीप |
ReplyDeleteबार बार शुभकामना, रहते हृदय समीप |
रहते हृदय समीप, यशस्वी होवे जीवन |
सुख समृद्ध सौहार्द, ख़ुशी से किलके आँगन |
रहो हमेशा स्वस्थ, बढे बल-विद्या रविकर |
है प्रभु का आशीष, कीजिये कविता कविवर ||
इस विनम्र प्रतिभा को हमारी भी दिल से बधाई विकसें-खिलें रचना आकाश पर .
बहुत सुन्दर ढंग से टिपियाया है आपने सभी को!
ReplyDeleteguruji bahut badiya.... kya rang bikhere hain aapne....gazab dha diya | aapse aur aapki posts se roz kuch na kuch naya seekhne ko milta hai | bahut bahut aabhar |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर तरीके से सजाया है !!
ReplyDeleteआभार !!
सुन्दर अंदाज और सार्थक टिप्पणियाँ के साथ बेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDelete