हकीकत : दिल्ली से भीख मांगते रहे नीतीश !
महेन्द्र श्रीवास्तव  
    
पटना पटनायक सरिस, नीति चुने नीतीश | 
चालाकी में भैंस से, पड़ते हैं इक्कीस | 
पड़ते हैं इक्कीस, सदी इक्कीस भुनाते | 
ले विशेष अधिकार, ख़्वाब ये हमें दिखाते | 
रविकर से है रीस, उधर चालू है सटना | 
दो नावों पर पैर, बड़ा मुश्किल है पटना || 
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किसे चुने हत्यारो और लुटेरों में ?
tarun_kt  
    यारा हत्यारा चुनो, बड़े लुटेरे दुष्ट | टेरे माया को सदा, करें बैंक संपुष्ट | करें बैंक संपुष्ट, बना देते भिखमंगा | मर मर जीना व्यर्थ, नाचता डाकू नंगा | हत्यारा है यार, ख़याल रख रहा हमारा | वह मारे इक बार, रोज मत मरना यारा || 
 कार्टून कुछ बोलता है- रंगभेद !
 पी.सी.गोदियाल "परचेत"  
  
नाती-पोता नेहरू, कर्ता धर्ता *शेख | 
अब्दुल्ला के ब्याह में, दीवाना ले देख | 
दीवाना ले देख, मरे कश्मीरी पंडित | 
निर्बल बिन हथियार, जवानो के सिर खंडित | 
डंडे से गर मोह, संघ को भेजो पाती | 
वह *मोहन तैयार, करो रविकर तैनाती ||  
*भागवत  
 
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कैसी ये सरकारRajendra Kumar
 भूली-बिसरी यादें 
लाई-गुड़ देती बटा, मुँह में लगी हराम | रेवड़ियाँ कुछ पा गए, भूल गए हरिनाम | भूल गए हरिनाम, इसी में सारा कौसल | बिन बोये लें काट, चला मत खेतों में हल | बने निकम्मे लोग, चले हैं कोस अढ़ाई | गए कई युग बीत, हुई पर कहाँ भलाई ??  | 
 
"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-24   संगम से गम दूर, तीर्थ मनु बुद्धि-बल का-इड़ा पिंगला सुषुम्ना=तीन नाड़ियाँ  | 
 
 
नाहक चिंता कर रहे, मातु-पिता कर्तव्य |  
हक़ है हर औलाद का, मातु पिता हैं *हव्य | मातु पिता हैं *हव्य, सहेंगे हरदम झटका | वह तो सह-उत्पाद, मिलन के पांच मिनट का | खोदो खुद से कूप, बरसते नहीं बलाहक | होय छांह या धूप, करो मत चिंता नाहक || हवन-सामग्री-  | 
 


 
 
 
चुनिंदा लिंक्स
ReplyDeleteबहुत बढिया
बहुत ही बढियाँ प्रस्तुति कविवर,सादर नमन.
ReplyDeleteबहुत बढिया,आभार रविकर जी !
ReplyDeleteपटना पटनायक सरिस, नीति चुने नीतीश |
ReplyDeleteचालाकी में भैंस से, पड़ते हैं इक्कीस |
पड़ते हैं इक्कीस, सदी इक्कीस भुनाते |
ले विशेष अधिकार, ख़्वाब ये हमें दिखाते |
रविकर से है रीस, उधर चालू है सटना |
दो नावों पर पैर, बड़ा मुश्किल है पटना ||
क्या बात है सरजी अच्छा मारा है सेकुलर तमाचा इन सेकुलरों को .
कुण्डलिया
ReplyDeleteइड़ा पिंगला सुषुम्ना, संगम सी शुभ-देह ।
प्रभु चरणों में आत्मा, पाए शाश्वत नेह ।
पाए शाश्वत नेह, गरुण से अमृत छलका ।
संगम से गम दूर, तीर्थ मनु बुद्धि-बल का ।
कर मनुवा सत्संग, मिलें मदनारि-मंगला ।
कर पूजन तप दान, दर्श दें इड़ा-पिंगला ।
बहुत खूब सर जी .