पुत्रीरूपी रत्न की प्राप्ति
अरुन शर्मा 'अनन्त'
मेरी मंगल कामना, चल अब उँगली थाम | कर्तव्यों का पालना, सीधा सा पैगाम | सीधा सा पैगाम, ख्याल रख माँ बेटी का | रहे स्वस्थ खुशहाल, सीख ले तुरत सलीका | अरुण-मनीषाशीश, मिलें खुशियाँ बहुतेरी | सुता यशस्वी होय, विनय सुन मैया मेरी || |
किस पर श्रद्धा
Asha Saxena
दिखा रंग असली जहाँ, होती पब्लिक दंग | होती पब्लिक दंग, नग्नता देख देख कर | होती श्रद्धा भंग, करे क्या दीदी रविकर | टेढ़ापन पहचान, नहीं कर पाती गुनिया | कर जाता वह हानि, ठगी जाती है दुनिया- |
तनिक सियासत से भी डरिए -
एस पी को देता उड़ा, किन्तु खून नहिं खौल ।
शासन शव-आसन करे, रहा असलहा तौल । ।
नक्सल को अब कहाँ पकड़िए ।
तनिक सियासत से भी डरिए ।।
हो जाए कुदरत खफा, मारे बीस हजार ।
राहत की चाहत लिए, हो भवसागर पार ।
लाश पास में रखकर सडिये।
तनिक सियासत से भी डरिए ।।
मंदिर में विस्फोट हो, करते बंद प्रदेश ।
लेना देना कुछ नहीं, दे जनता को क्लेश ॥
ऐसे मरिये वैसे मरिये ।
तनिक सियासत से भी डरिए ।।
बच्ची चच्ची दादियाँ, झेले हत्या रेप ।
नामर्दों की हरकतें, गया मर्द जब खेप ॥
धरना धरा प्रदर्शन करिए ।
तनिक सियासत से भी डरिए ।।
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खोज सत्य कीसंगीता स्वरुप ( गीत )
गीत.......मेरी अनुभूतियाँ
तमसाकृत से है घिरा, निश्चय सत्य तमाम | मार तमाचा तमतमा, सत्य ताक ले आम | सत्य ताक ले आम, ख़ास इक बात बताई | तम ही तो है सत्य, समझ में रविकर आई | मनुवा सत्य निकाल, डाल दे थोड़ा घमसा | भरत-सत्य साकार, पार कर जाए तमसा - |
सुन्दर कुंडलियों के साथ सूत्रों का उम्दा सयोंजन !!
ReplyDeleteआपका कमेन्ट बहुत शानदार है |
ReplyDeleteआशा
वाह बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत शानदार ..
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ..........
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