अनुभूति
बेटा मत फंसना कभी, भरे पड़े शैतान ।
तान रहे शैतान ये, बन कर के इंसान ।
बन कर के इंसान, मुखौटे तरह तरह के ।
अगर ज़रा दो ध्यान, पास में अपने रह के ।
कर परोक्ष नुकसान, दबा देते हैं *टेटा ।
माँ का था अरमान, करे क्या लेकिन बेटा ॥
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पांच दोहे - लक्ष्मण लडीवाला
open books on line पोती पोता पोत पे, पावें पार पयोधि | चिंता छोड़ें व्यर्थ की, रखें भरोसा बोधि ||
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सट्टा बट्टा दे लगा, खट्टा है घुड-दौड़ | हुई लाटरी बंद जो, ताश जुआं भी गौण | ताश जुआं भी गौण, आज यह क्रिकेट छाया | दर्शक भरसक दूर, खिलाड़ी दांव लगाया | अफसर अंडर-वर्ल्ड, एक थैली का चट्टा | नया मिला यह काम, खेल रोजाना सट्टा | | |
रविकर पक्का धूर्त, इसे दो रोने धोने -
इस रोने से क्या भला, नहीं समय पर चेत |
बादल फटने की क्रिया, हुवे हजारों खेत | हुवे हजारों खेत, रेत मलबे में लाशें | दुबक गई सरकार, बहाने बड़े तलाशें | रविकर पक्का धूर्त, इसे दो रोने धोने | बड़ा खुलासा आज, किया क्यूँ इस "इसरो" ने || |
वाह....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
आनन्द आ गया
सादर
मार नहीं गप मात्र, स्वस्थ्य रह के गर जीना |
ReplyDeleteकसरत पर दो ध्यान, बहा मत मात्र पसीना ||
बहुत सुन्दर !
वाह क्या बात है सर!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कुण्डलियाँ रची हैं आपने!