Thursday, 25 July 2013

झापड़ पाँच रसीद कर, कर मसूद को माफ़ -




निर्मम  दुनियाँ  से  सदा , चाहा  था   वैराग्य
पत्थर सहराने लगा ,  हँसकर अपना भाग्य
हँस कर  अपना  भाग्य , समुंदर की गहराई
नीरव बिल्कुल शांत, अहा कितनी सुखदाई
दिन  में  है  आराम   ,रात  हर  इक  है पूनम
सागर कितना शांत , और दुनियाँ है निर्मम ||
---अरुण कुमार निगम 


 गहराई सागर लिए, बड़वानल विक्षोभ |
कभी छोड़ पाया नहीं, सूर्य चन्द्र का लोभ |
सूर्य चन्द्र का लोभ, गर्म ठंढी धाराएं |
यदा कदा तूफ़ान, सुनामी धरती खाएं |
पत्थर दिल नादान, हुआ है तू तो बहरा |
सागर दिखे महान, राज इसमें है गहरा ||
---रविकर



विहान के जन्मदिन पर


Kailash Sharma 

 जीवन में खुशियाँ सदा, बाँटो पाओ ढेर |
स्वास्थ्य बुद्धि शुभ शक्ति पा, फैला धवल उजेर ||

 लालित्यम्
हरदम हद हम फांदते, कब्र पुरानी खोद 
 सामूहिक धिक् धिक् कहें, सामूहिक सामोद 
 सामूहिक सामोद, गोद में जिसकी खेले 
 जीव रहे झट बेंच, बिना दो पापड बेले 
केवल भोग विलास, लाश का निकले दमखम 
बनते रहे लबार, स्वार्थमय जीवन हरदम



मोदी कहते इकवचन, दे धिक् धिक् धिक्कार |
कई प्रवक्ता बहुवचन, थोथा शब्द प्रहार |
थोथा शब्द प्रहार, सारवर्जित सा सारे  |
प्रवचन कर अखबार, मीडिया भी बेचारे |
विश्वसनीयता आज, सभी ने अपनी खो दी |
शुभ कुण्डलियाँ राज, राज पायेगा मोदी ||

 सृजन मंच ऑनलाइन

पढ़ कर रचना कार नव, पाता है प्रतिदर्श |
शिल्प कथ्य मजबूत है, कुण्डलियाँ आदर्श |
कुण्डलियाँ आदर्श,  देखकर वह अभ्यासी |
अल्प-समय उत्कर्ष, रचे फिर अच्छी-खांसी | 
अग्रदूत आभार, टिप्पणी करता रविकर |
उत्तम चिट्ठाकार, बनूँ भैया को पढ़ कर ||


ले आतंकी पक्ष, अगर लादेन का कर्जी-
दर्जी दिग्गी चीर के, सिले सिलसिलेवार |
कह फर्जी मुठभेड़ को, पोटे किसे लबार |

पोटे किसे लबार, शुद्ध दिखती खुदगर्जी |
जाय भाड़ में देश, करे अपनी मनमर्जी |

ले आतंकी पक्ष, अगर लादेन का कर्जी |
पर भड़का उन्माद, चीथड़े क्यूँकर दर्जी ||

कार्टून कुछ बोलता है - इसने तो घास भी नहीं डाली !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
 अंधड़ !  

ओबामा वह अहमियत, नहीं दे रहा आज |
नहीं तवज्जो मिले जब, हो रज्जो नाराज |
हो रज्जो नाराज,  सांसद चिट्ठी लिखते |
इन्हें काम ना काज, करोड़ों में पर बिकते |
ओबामा से अधिक, अहमियत दे ओसामा |
दिग्गी को अफ़सोस, मारता क्यूँ ओबामा ||



SACCHAI 

 AAWAZ  


सकते में है जिंदगी, दो सौ रहे कमाय |
कुल छह जन घर में बसे, लाल कार्ड छिन जाय | 

लाल कार्ड छिन जाय, खाय के मिड डे भोजन -
गुजर बसर कर रहे, कमे पर कल ही दो जन |

अब केवल हम चार, दाल रोटी नित छकते |
तब हम भला गरीब, बोल कैसे हो सकते ||

जाँघो पर लिखने लगा, विज्ञापन जापान |
स्लीब-लेस ड्रेस रोकता, पर यह हिन्दुस्तान |
पर यह हिन्दुस्तान, खबर इंदौर बनाए |
कन्याएं जापान, हजारों येन कमायें |
बिना आर्थिक लाभ, कभी तो सीमा लाँघो |
डायरेक्टर धिक्कार, जियो जापानी जाँघो |

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून


झापड़ पाँच रसीद कर, कर मसूद को माफ़  |
हिले तराजू राज का,  बालीवुड इन्साफ |
बालीवुड इन्साफ, रुपैया बारह ले ले |
ओढ़े बब्बर खाल, गधे को पब्लिक झेले |
करते जद्दो-जहद , बेलना पड़ता पापड़ |
आ जाती तब अक्ल, पेट भरता ना झापड़ ||

4 comments:

  1. कार्टून को भी सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आभार रवि‍कर जी

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  2. बहुत सुन्दर...आभार

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  3. बहुत ही सुन्दर रचनाएँ
    धन्यवाद स्वीकार करें ...

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