Kumar Radharaman
सीना में ले हौसला, करो प्रतिज्ञा मित्र |
प्राप्त करो एक्सपर्ट की, कुशल सलाह सचित्र |
कुशल सलाह सचित्र , पोज हों सही संतुलित |
खान-पान व्यवहार, बहुत कुछ इधर सम्मलित |
मार नहीं गप मात्र, स्वस्थ्य रह के गर जीना |
कसरत पर दो ध्यान, बहा मत मात्र पसीना ||
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रविकर पक्का धूर्त, इसे दो रोने धोने -
इस रोने से क्या भला, नहीं समय पर चेत |
बादल फटने की क्रिया, हुवे हजारों खेत | हुवे हजारों खेत, रेत मलबे में लाशें | दुबक गई सरकार, बहाने बड़े तलाशें | रविकर पक्का धूर्त, इसे दो रोने धोने | बड़ा खुलासा आज, किया क्यूँ इस "इसरो" ने || |
इधर इंद्र उत्पात , उधर इंद्रा का नाती -
बरसाती चेतावनी, चूक चोचलेबाज |
डूबे चारोधाम जब, चौकन्ना हो राज |
चौकन्ना हो राज, बहाया तिनका तिनका |
गिरा प्रजा पर गाज, नहीं कुछ बिगड़ा इनका |
जल-समाधि जल-व्याधि, बहा मलबा आघाती |
इधर इंद्र उत्पात , उधर इंद्रा का नाती ||
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दोहा छंदगीतिका 'वेदिका'
सृजन मंच ऑनलाइन
सट्टा बट्टा दे लगा, खट्टा है घुड-दौड़ | हुई लाटरी बंद जो, ताश जुआं भी गौण | ताश जुआं भी गौण, आज यह क्रिकेट छाया | दर्शक भरसक दूर, खिलाड़ी दांव लगाया | अफसर अंडर-वर्ल्ड, एक थैली का चट्टा | नया मिला यह काम, खेल रोजाना सट्टा | | |
होवे हृदयाघात यदि, नाड़ी में अवरोध ।
पर नदियाँ बाँधी गईं, बिना यथोचित शोध ।
बिना यथोचित शोध, इड़ा पिंगला सुषुम्ना ।
रहे त्रिसोता बाँध, होय क्यों जीवन गुम ना ?
अंधाधुंध विकास, पड़ी प्रायश्चित रोवे ।
भौतिक सुख की ललक, तबाही निश्चित होवे ।।
त्रिसोता = भागीरथी ,अलकनंदा और मन्दाकिनी
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सुन्दर और सटीक !!
ReplyDeleteआपका कोई जवाब नहीं रविकर जी।
ReplyDeleteसभी टिप्पणियाँ सार्थक हैं!
शुक्रिया रविकर भाई उत्साह बढाने का .ॐ शान्ति .चार दिनी सेमीनार में ४ -७ जुलाई ,२ ० १ ३ ,अल्बानी (न्युयोर्क )में हूँ .ॐ शान्ति .
ReplyDeleteव्यंजना पूर्ण रहे सभी लिंक प्रासंगिक व्यंग्य विड्म्बन लिए रहे -
होवे हृदयाघात यदि, नाड़ी में अवरोध ।
पर नदियाँ बाँधी गईं, बिना यथोचित शोध ।
बिना यथोचित शोध, इड़ा पिंगला सुषुम्ना ।
रहे त्रिसोता बाँध, होय क्यों जीवन गुम ना ?
अंधाधुंध विकास, पड़ी प्रायश्चित रोवे ।
भौतिक सुख की ललक, तबाही निश्चित होवे ।।
सार्थक टिप्पणियाँ....
ReplyDeleteबरसाती चेतावनी, चूक चोचलेबाज |
ReplyDeleteडूबे चारोधाम जब, चौकन्ना हो राज |
चौकन्ना हो राज, बहाया तिनका तिनका |
गिरा प्रजा पर गाज, नहीं कुछ बिगड़ा इनका |
जल-समाधि जल-व्याधि, बहा मलबा आघाती |
इधर इंद्र उत्पात , उधर इंद्रा का नाती ||वह रविकर जी खरी खरी कहने में आपका जवाब नहीं ,