कदम धरती पर ,मन में आसमान हो.
Maheshwari kaneri
कुलाचार का निर्वहन, कुलगरिमा विस्तार |
स्वाति वारि से तृप्त जग, करे प्रगट आभार | करे प्रगट आभार, मोतियाँ मस्त पिरोये | पाए जीवन-सार, नाम दुनिया में होवे | धीर वीर गम्भीर, मान रख सदा प्यार का | मिले सूर्य का नेह, निर्वहन कुलाचार का- |
मेरा पहाड़ (त्रासदी के एक महीने बाद )
noreply@blogger.com (Barthwal Pratibimba)
दशा सुधरती नहीं पर, धरती धरती धीर | हौले हौले ही सही, हलकी होगी पीर | हलकी होगी पीर, नीर अब तक नहिं सूखा | आहत हुआ शरीर, किन्तु मर जाता भूखा | कुदरत का कानून, तोड़ते होय हादसा | सोया देहरादून, दिखे नहिं कहीं दुर्दशा | |
मिसरा,मतला,मक्ता,रदीफ़,काफिया,ने खुद्दारी की थी -सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना
पल्लेदारी खुब करी, बोरा ढोया ढेर । शब्द-अर्थ बोरा किया, रहा आज तक हेर । रहा आज तक हेर, फेर नहिं अब तक समझा। छा जाए अंधेर, काफिया मिसरा उलझा । उड़ा रहे उस्ताद, बना हुक्के से छल्ले । पायें पल पल दाद, पड़े नहिं रविकर पल्ले ॥ |
अफरा-तफरी मच गई, खा के मिड-डे मील |
अफसर तफरी कर रहे, बीस छात्र लें लील |
बीस छात्र लें लील, ढील सत्ता की दीखे |
मुवावजा ऐलान, यही इक ढर्रा सीखे |
आने लगे बयान, पार्टियां बिफरी बिफरी |
किन्तु जा रही जान, मची है अफरा तफरी || मिड डे मिल/मौत की सौगात/राजनीतिक साजिश
haresh Kumar
घटना पर घटना घटे, घटे नहीं सन्ताप |
थे तो लाख उपाय पर, बाँट रहे दो लाख | बाँट रहे दो लाख, नहीं बच्चे बच पाए | मुआवजा ऐलान, दुशासन साख बचाए | बच्चे छोड़ें जगत, छोड़ते वे नहिं पटना | बके बड़ा षड्यंत्र, विपक्षी करते घटना || |
गार्बेज ट्रक (कूडा-वाहन)सुज्ञ
छोटी सी यह जिंदगी, कर ले मनुवा प्यार |
दूरी लम्बी ले बना, जो करते तकरार | जो करते तकरार, निराशा में हैं डूबे | खाना करें खराब, जिंदगी से भी ऊबे | रविकर चल चुपचाप, बचा कर लाज-लंगोटी | सदा गाँठ में बाँध, सीख ये छोटी छोटी || |
एक महीना- त्रासदी उपरान्त !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
लगता है इक पार्टी, मिटा राष्ट्र-आदर्श | श्रद्धा-चिन्हों को हटा, करे आत्म-उत्कर्ष | करे आत्म-उत्कर्ष, योजनाबद्ध तरीका | सेतु कुम्भ केदार, मिटाने का दे ठीका | धर्मावलम्बी मूर्ख, नहीं फिर भी है जगता | सत्ता इनको सौंप, चैन से सोने लगता || क्या से क्या हो गया !पी.सी.गोदियाल "परचेत"
अंधड़ !
पहले तो थे घेरते, आज लुटेरे टेर | एक बेर थे लूटते, अब लूंटे हर बेर || |
मस्त है आपकी कुंडली हलचल ....
ReplyDeleteबहु बढिया ..आभार मेरी रचना शामिल क्रने के लिए..
ReplyDeleteबहुत खूब, आभार रविकर जी !
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन,,,वाह
ReplyDeleteRECENT POST : अभी भी आशा है,
बहुत सुंदर सृजन,,आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन,,आभार
ReplyDeleteबहु बढिया
ReplyDeleteअतिसुन्दर काव्य प्रतिक्रिया संकलन!!
ReplyDeleteलिंक सम्मलित करने के लिए आभार!!
गार्बेज ट्रक (कूडा-वाहन)
ReplyDeleteसुज्ञ
सुज्ञ
छोटी सी यह जिंदगी, कर ले मनुवा प्यार |
दूरी लम्बी ले बना, जो करते तकरार |
जो करते तकरार, निराशा में हैं डूबे |
खाना करें खराब, जिंदगी से भी ऊबे |
रविकर चल चुपचाप, बचा कर लाज-लंगोटी |
सदा गाँठ में बाँध, सीख ये छोटी छोटी ||
बेहद की सुन्दर काल-जै प्रस्तुति है भाई साहब आपकी यह पोस्ट .आनंद सरोवर में डुबकी लगवादी .
क्या बात है रविकर भाई पुराने रंग में हो .
गार्बेज ट्रक (कूडा-वाहन)
सुज्ञ
सुज्ञ
छोटी सी यह जिंदगी, कर ले मनुवा प्यार |
दूरी लम्बी ले बना, जो करते तकरार |
जो करते तकरार, निराशा में हैं डूबे |
खाना करें खराब, जिंदगी से भी ऊबे |
रविकर चल चुपचाप, बचा कर लाज-लंगोटी |
सदा गाँठ में बाँध, सीख ये छोटी छोटी ||
ॐ शान्ति
विरेन्द्र जी, आभार आपका आपने संज्ञान लिया
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