राघवजी उफ राघवजी
वरुण के सखाजी
अस्सी में रस्सी कसी, हँसी हसारत होय |
छिपी नहीं खाँसी-ख़ुशी, रहे रोटियां पोय | रहे रोटियां पोय, वाह जी राघव रसिया | बुड्ढा होगा बाप, फसल खुब काटे हँसिया | सेवक बक बकवास, बधाये हाथों रस्सी | अलबेला यह शौक, उमर चाहे हो अस्सी ||
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जागो !तामसी , आज फिर जागो !
प्रतिभा सक्सेना
लालित्यम्
थोड़ा सत रज तम मिले, भिन्न भिन्न अनुपात | प्रस्तुति शुभ-गंभीर अति, महत्वपूर्ण दिन रात | महत्वपूर्ण दिन रात, एक बिन अन्य अधूरा | घटती बढ़ती ज्योति, योग पर पूरा पूरा | गोरख कर बदलाव, खाव खिचड़ी जो छोड़ा | रखना तू समभाव, नहीं कुछ थोड़म-थोड़ा || |
किन्तु नियामत लूटता, प्राणिजगत का ज्येष्ठ-
कुदरत रत रहती सतत, सिद्ध नियामक श्रेष्ठ ।
किन्तु नियामत लूटता, प्राणिजगत का ज्येष्ठ।
प्राणिजगत का ज्येष्ठ, निरंकुश ठेठ स्वार्थी ।
कर शोषण आखेट, भोगता मार पालथी ।
बेजा इस्तेमाल, माल का जब भी अखरत ।
देती मचा धमाल, बावली होकर कुदरत ॥
माल=वन / क्षेत्र / धन-संपत्ति / सामग्री आदि
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Asha Saxena
बीता कितना समय व्यर्थ, अर्थहीन कुछ कर्म |
आज हुआ अफ़सोस है, व्यथित हुआ है मर्म | व्यथित हुआ है मर्म, शर्म भी हमको आये | बने दुबारा दूध, दही जो पड़े जमाये | कितना सुन्दर तथ्य, दिया दर्शन ज्यों गीता | पुन: नहीं हो प्राप्त, समय बीता सो बीता || |
खोज सत्य कीसंगीता स्वरुप ( गीत )
गीत.......मेरी अनुभूतियाँ
तमसाकृत से है घिरा, निश्चय सत्य तमाम | मार तमाचा तमतमा, सत्य ताक ले आम | सत्य ताक ले आम, ख़ास इक बात बताई | तम ही तो है सत्य, समझ में रविकर आई | मनुवा सत्य निकाल, डाल दे थोड़ा घमसा | भरत-सत्य साकार, पार कर जाए तमसा -
noreply@blogger.com (काजल कुमार Kajal Kumar)
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वाह...!
ReplyDeleteकमेंटी कुण्डलियाँ बाँचकर तो आनन्द आ गया!
आभार!
सुन्दर !!
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय !!
badhiyaaa
ReplyDeleteअब भगवान् ने चाह तो रोटियाँ बेलेंगे भी राघव जी ! :)
ReplyDeleteसेवक बक बकवास, बधाये हाथों रस्सी |
ReplyDeleteअलबेला यह शौक, उमर चाहे हो अस्सी ||
वाह !!! बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
RECENT POST: गुजारिश,
अस्सी में रस्सी कसी, हँसी हसारत होय |
ReplyDeleteछिपी नहीं खाँसी-ख़ुशी, रहे रोटियां पोय |
रहे रोटियां पोय, वाह जी राघव रसिया |
बुड्ढा होगा बाप, फसल खुब काटे हँसिया |
सेवक बक बकवास, बधाये हाथों रस्सी |
अलबेला यह शौक, उमर चाहे हो अस्सी ||
बहुत खूब !
बंदीजुगल अरुण-
ReplyDeleteरवि की है भैया बेजोड़ .
कर जोरिकर कहूं , न करूं ठिठोली .
सादर आभार आदरणीय !
ReplyDeleteबहुत खूब !..
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