Priti Surana
मेरा मन कायल हुआ, सिमटा सावन सार |
बेल पात अर्पित करे, साजन सुने पुकार | साजन सुने पुकार, बहाना किन्तु बनाए | पाया पैसे चार , तनिक कुछ और कमाए |
बिजली चमके घोर, गरजता बादल घेरा |
मन होवे भयभीत, साथ दे साजन मेरा- |
शहरी जानवर : नाकारे इन्सान, मौन अस्तित्व नकारें
झबरी कुतिया के बढ़े, जब बाजारू दाम
बाजारू कुत्ते बड़ा, मचा रहे कुहराम
मचा रहे कुहराम , बिल्लियाँ चूहे मारें
नाकारे इन्सान, मौन अस्तित्व नकारें
इधर ढूँढ़ के लाय, दूर की कौड़ी खबरी
बढ़िया बिस्कुट खाय, उधर वह कुतिया झबरी
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उसके बाद .....?
उपासना सियाग
मरे मरे से चौधरी, हॉरर किलिंग सवाल सुता लाडली को सुता, पगड़ी रहे संभाल पगड़ी रहे संभाल, आँख में क्या पछतावा छाया है भ्रम-जाल, सदा प्रोग्रेसिव दावा लड़का बसा विदेश, आज कितना ही अखरे लगा कलेजे ठेस, झाँक बेटी के कमरे |
कार्टून कुछ बोलता है- बधाई हो गुलामों, एक और युवराज.............. !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
कोहनूर माथे सजे, कामधेनु का दुग्ध | भेजे चाम गुलाम-कुल, युवराजा पर मुग्ध || घुन लगी हत्यारन व्यवस्था !पी.सी.गोदियाल "परचेत"
अंधड़ !
गिरगिट-शैली से करे, क़त्ल बड़े घड़ियाल | चूक नहीं होती कहीं, खाय कलेजा लाल | खाय कलेजा लाल , पाल सत्ता-सर लेता | अगर काल आपात, होंय खुश अफसर नेता | मिले लूट की छूट, फोन पर करके गिटपिट | खा पीकर हो लाल, रंग में दिखता गिरगिट | |
अहसास...Maheshwari kaneri
अभिव्यंजना
जलती लौ रोशन करे, कई हृदय आगार | धुँवा छुपाये बाँटती, माँ ही सच्चा प्यार | माँ ही सच्चा प्यार, बागवानी में माहिर | हरदम सींच सँवार, करे ना लेकिन जाहिर | बढ़े जगत में जुल्म, यहाँ होती ना गलती | दुष्ट मना की मित्र , चिता निश्चय ही जलती || |
नाजायज सरकार से, क्या जायज उम्मीद |
गोबर है घुडसाल में, गौशाला में लीद | गौशाला में लीद, ईद इनके घर होती - इत बारिस घनघोर, गाँव के गाँव डुबोती | चल खा मिड-डे मील, वक्त का यही तकाजा | बुला आदमी चार, यार का उठे जनाजा || |
बहुत सुन्दर
ReplyDeletehttp://saxenamadanmohan.blogspot.in/
सुन्दर !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteबहुत बढिया..मुझे शामिल करने के लिए आभार..
ReplyDeleteकबीर की उलटबासियों सा मजा ला रहें हैं इन दिनों रविकर .
ReplyDeleteलगता है कांग्रेस के अब गिने चुने दिन हैं .