Tuesday, 23 July 2013

बुला आदमी चार, यार का उठे जनाजा-





Priti Surana 

 मेरा मन कायल हुआ, सिमटा सावन सार |
बेल पात अर्पित करे, साजन सुने पुकार |

साजन सुने पुकार, बहाना किन्तु बनाए |
पाया पैसे चार , तनिक कुछ और कमाए |

बिजली चमके घोर, गरजता बादल घेरा |
मन होवे भयभीत, साथ दे साजन मेरा-


शहरी जानवर : नाकारे इन्सान, मौन अस्तित्व नकारें

झबरी कुतिया के बढ़े,  जब बाजारू  दाम  
 बाजारू कुत्ते बड़ा, मचा रहे कुहराम      

मचा रहे कुहराम , बिल्लियाँ चूहे मारें 
 नाकारे इन्सान, मौन अस्तित्व नकारें 

इधर ढूँढ़ के लाय, दूर की कौड़ी खबरी 
बढ़िया बिस्कुट खाय, उधर वह कुतिया झबरी   

 उसके बाद .....?

उपासना सियाग 

मरे मरे से चौधरी, हॉरर किलिंग सवाल 
 सुता लाडली को सुता, पगड़ी रहे संभाल 

 पगड़ी रहे संभाल, आँख में क्या पछतावा 
 छाया है भ्रम-जाल, सदा प्रोग्रेसिव दावा 

 लड़का बसा विदेश, आज कितना ही अखरे 
लगा कलेजे ठेस, झाँक बेटी के कमरे


  कार्टून कुछ बोलता है- बधाई हो गुलामों, एक और युवराज.............. !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 

कोहनूर माथे सजे, कामधेनु का दुग्ध |
भेजे चाम गुलाम-कुल, युवराजा पर मुग्ध ||


घुन लगी हत्यारन व्यवस्था !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
 अंधड़ !
गिरगिट-शैली से करे, क़त्ल बड़े घड़ियाल |
चूक नहीं होती कहीं, खाय कलेजा लाल |


खाय कलेजा लाल , पाल सत्ता-सर लेता |
अगर काल आपात, होंय खुश अफसर नेता |


मिले लूट की छूट, फोन पर करके गिटपिट |
खा पीकर हो लाल, रंग में दिखता गिरगिट |

 

अहसास...

Maheshwari kaneri 
 अभिव्यंजना
जलती लौ रोशन करे, कई हृदय आगार |
धुँवा छुपाये बाँटती, माँ ही सच्चा प्यार |


माँ ही सच्चा प्यार, बागवानी में माहिर |
हरदम सींच सँवार, करे ना लेकिन जाहिर |


बढ़े जगत में जुल्म, यहाँ होती ना गलती |
दुष्ट मना की मित्र ,  चिता निश्चय ही जलती ||

नाजायज सरकार से, क्या जायज उम्मीद |
गोबर है घुडसाल में, गौशाला में लीद |

गौशाला में लीद,  ईद इनके घर होती -
इत बारिस घनघोर, गाँव के गाँव डुबोती |

चल खा मिड-डे मील, वक्त का यही तकाजा |
बुला आदमी चार, यार का उठे जनाजा ||



5 comments:

  1. बहुत सुन्दर
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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  2. बहुत बढिया..मुझे शामिल करने के लिए आभार..

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  3. कबीर की उलटबासियों सा मजा ला रहें हैं इन दिनों रविकर .

    लगता है कांग्रेस के अब गिने चुने दिन हैं .

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