मेरी कहानियाँ
दादी सच ही कह रही, लम्बी दुनिया देख |
मम्मी भी सच ही कहे, दीदी का सच लेख | दीदी का सच लेख, बात है महिलाओं की | सम्मुख पीढ़ी तीन, करें क्या टोका टोकी | बाहर जोखिम देख, छीने बहना आजादी | युग की टेढ़ी चाल, देख कर बोली दादी || |
अंक-28
राहु-केतु से त्रस्त *ग्लो, मानव से यह ग्लोब । लगा जमाना लूट में, रोज जमाना रोब । रोज जमाना रोब, नाश कर रहा जयातुर । इने गिने कुछ लोग, बचाने को पर आतुर । रविकर लेता थाम, धरित्री इसी हेतु से । तू भी हाथ बढ़ाय, बचा ले राहु केतु से ॥ * चंद्रमा , कपूर |
मानव वेश में अक्सर फिरें, शैतान दुनिया में -सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना
रविकर करता तैयारी है |
लिखता रहता था कुण्डलियाँ--
गजलों की अब की बारी है |
ब्लॉग जगत पर कई विधाएं-
देखो तो मारामारी है |
अगर खिंचाई कर दे कोई-
मुँह पर ही देता गारी है |
लगातार लिखता पढता हूँ-
रविकर यह क्या बीमारी है-
man ka manthan. मन का मंथन।अनुपम बलिदान...बलिदानी दानी दिखे, लिखे नाम इतिहास | करे हास-परिहास जग, पर वे सत्य प्रकाश | पर वे सत्य प्रकाश, पुत्र चारो न्यौछावर | जय जय पन्ना धाय, कौन माँ तुझसे बेहतर | हरिश्चन्द्र का सत्य, हजारों सत्य कहानी | परम्परा आदर्श, नमन सादर बलिदानी- |
बन जाओ न नीला समंदर.....
रश्मि शर्मा
हो अभाव जब भाव का, अन्तर बढ़ता जाय |
हृदयस्थल में मरुस्थल, अन्तर मन अकुलाय-
लालित्यम्
सज्जन को हरदम खला, भागे लाज लपेट | पंचों का जब फैसला, पक्षपात की भेंट | पक्षपात की भेंट, जान का सौदा होता | काटे कौवा खेत, फसल चाहे जो बोता | नगरी में अंधेर, मूर्ख जन बसते दुर्जन | नहीं किसी की खैर, भाग जाते हैं सज्जन || |
ग्वालिन ग्वाल बहे पशु अन्न निहारत कृष्ण करेज फटा-
वृष्टि सुरेश करे जमके चमके बिजली घनघोर घटा ।
ग्वालिन ग्वाल बहे पशु अन्न निहारत कृष्ण करेज फटा
गोबरधन्य उठा कन-अंगुलि देत दिखाय अजीब छटा ।
आज सँभाल रहे धरती मिल सज्जन नौ-जन हाथ बटा
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behatareen links ,sadar
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteआपकी इस शानदार प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार २३/७ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है सस्नेह ।
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