कब से बैठे है , विपक्ष में , अपने घर में, फांके होते : सतीश सक्सेना
ताऊ रामपुरिया
चीर-हरण हो ना सका, सत्ता है मजबूर | सत्ता है मजबूर, मगर अभ्यास कराये | खोटा अपना माल, सौ टका टंच बताये | गांधारी बीमार, पका ना आज कलेजा | खा मुर्गे की टांग, चबा ले भूना भेजा || |
कर खूनी इफ्तार, मिला क्या अरे केकड़ों-
Bombings at busy market in north Pakistan kill 39
दंगे से आतंक का, सीधा सा सम्बन्ध |
फैलाते रहते सदा, दिल्ली वाले गन्ध | दिल्ली वाले गन्ध, पाक में मरे सैकड़ों | कर खूनी इफ्तार, मिला क्या अरे केकड़ों | एक धर्म इक देश, इबादत के दिन नंगे | करते बम विस्फोट, कराया किसने दंगे || |
टंच माल है सौ टका, चाट चंट चंडाल-
टंच माल है सौ टका, चाट चंट चंडाल |
थूक थूक के चाटता, खूब बजावे गाल | खूब बजावे गाल, बने जौहरी पुराना | कभी गुरू-घंटाल, कभी आतंकी नाना | वाणी से दिग्विजय, भूल है मकड़-जाल है | ले अंतर में झाँक, बड़ा ही टंच माल है || |
महा *महात्यय ही मिला, ठहरा कहाँ विनाश |
सिधर महात्मा दे गया, नाम स्वयं का ख़ास |
नाम स्वयं का ख़ास, करम मोहन के गड़बड़ |
रहा रोज ही पूज, आज भी गांधी बढ़कर |
हिन्दुस्तानी मूर्ख, रहा हरदम ही गम हा |
पकड़े दौड़ लगाय, लिए वैशाखी दमहा ||
*सर्वनाश
पाँच रुपैया में सुलभ, शौचालय जब होय |
इक रोटी ही खाइये, अपने हाथे पोय |
अपने हाथे पोय, जमा के ईंधन कचड़ा |
होवे दुहरा काम, गैस का छूटा पचड़ा |
ढूँढो नीम हकीम, मील मिड डे भी भैया |
जहर जरा सा जीम, बचेंगे पाँच रुपैया-
सिधर महात्मा दे गया, नाम स्वयं का ख़ास |
नाम स्वयं का ख़ास, करम मोहन के गड़बड़ |
रहा रोज ही पूज, आज भी गांधी बढ़कर |
हिन्दुस्तानी मूर्ख, रहा हरदम ही गम हा |
पकड़े दौड़ लगाय, लिए वैशाखी दमहा ||
*सर्वनाश
हर गांधी में अगर हमने महात्मा न ढूढा होता !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
पाँच रुपैया में सुलभ, शौचालय जब होय |
इक रोटी ही खाइये, अपने हाथे पोय |
अपने हाथे पोय, जमा के ईंधन कचड़ा |
होवे दुहरा काम, गैस का छूटा पचड़ा |
ढूँढो नीम हकीम, मील मिड डे भी भैया |
जहर जरा सा जीम, बचेंगे पाँच रुपैया-
एल्लो उनको पता ही नहीं
Bamulahija dot Com at Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA
शब्दकोष देते बदल, दल बल छल आयॊग | सब "गरीब रथ" पर चढ़े, किये बिना उद्योग | किये बिना उद्योग, हिरन खुद घुसे गुफा में | खा जाए अब शेर, हाथ में बगुली थामे | गजल कह रहे शेर, बदल कर आज गद्य को | गिरता गया अमीर, सँभालो पकड़ शब्द को || Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
झापड़ पाँच रसीद कर, कर मसूद को माफ़ |
हिले तराजू राज का, बालीवुड इन्साफ | बालीवुड इन्साफ, रुपैया बारह ले ले | ओढ़े बब्बर खाल, गधे को पब्लिक झेले | करते जद्दो-जहद , बेलना पड़ता पापड़ | आ जाती तब अक्ल, पेट भरता ना झापड़ || पानी मथने से नहीं, मिलता घी श्रीमान | अब्दुल्ला भी खा रहे, इक रूपये में जान || |
मेरा पागलपन सा लगता है..... !!!
sushma 'आहुति'
पागलपन सचमुच सही, रही सही उम्मीद |
इसी बहाने बीतती, खुद की होली ईद ||
बहन की असलियत
Shalini Kaushik
खुराफात में लीन हैं, रिश्ते-नाते दोस्त |
सम्बन्धों पर चढ़ चुके, मोटी चमड़ी,गोश्त | मोटी चमड़ी,गोश्त, भाँजना झूठ बोलना | गायब मासूमियत, राज ले, पोल खोलना | घर घर की लघु कथा, बड़ा दम दिखे बात में | अपनी चिंता छोड़, लीन जग खुराफात में || |
वोटों की दरकार, गरीबी वोट बैंक है-
लेकर कुलकर आयकर, करती क्या सरकार |
लोकतंत्र सुकरात का, वोटों की दरकार | वोटों की दरकार, गरीबी वोट बैंक है | विविध भाँति सत्कार, तंत्र में फर्स्ट-रैंक है | दे अनुदान तमाम, मुफ्त में राशन देकर | करते अपना नाम, रुपैया हमसे लेकर || |
दंगे से आतंक का, सीधा सा सम्बन्ध |
ReplyDeleteफैलाते रहते सदा, दिल्ली वाले गन्ध |
दिल्ली वाले गन्ध, पाक में मरे सैकड़ों |
कर खूनी इफ्तार, मिला क्या अरे केकड़ों |
एक धर्म इक देश, इबादत के दिन नंगे |
करते बम विस्फोट, कराया किसने दंगे ||
क्या बात है सरजी व्यापक कलेवर और वजन की टिप्पणियाँ हैं कुंडलियों में। ॐ शान्ति
aapke dwara har post par kee gayi tippani us post ka man badha deti hai .meri laghu katha ko sthan dene hetu aabhar
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज रविवार (28-07-2013) को त्वरित चर्चा डबल मज़ा चर्चा मंच पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Aabhar Ravikar ji !
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