साधारण अनुभव सही, प्रस्तुति किन्तु महान |
लन्दन में भी जी रहा, अपना हिन्दुस्तान | अपना हिन्दुस्तान, आज आसान हुआ है | हर देशी सामान, प्यार से हृदय छुआ है | बना सतत संपर्क, नहीं पड़ती अब बाधा | मिटे मुल्क का फर्क, अगर इंटरनेट साधा || |
मेरी कहानियाँ
दादी सच ही कह रही, लम्बी दुनिया देख |
मम्मी भी सच ही कहे, दीदी का सच लेख | दीदी का सच लेख, बात है महिलाओं की | सम्मुख पीढ़ी तीन, करें क्या टोका टोकी | बाहर जोखिम देख, छीने बहना आजादी | युग की टेढ़ी चाल, देख कर बोली दादी || |
मानव वेश में अक्सर फिरें, शैतान दुनिया में -सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना
रविकर करता तैयारी है | लिखता रहता था कुण्डलियाँ-- गजलों की अब की बारी है | ब्लॉग जगत पर कई विधाएं- देखो तो मारामारी है | अगर खिंचाई कर दे कोई- मुँह पर ही देता गारी है | लगातार लिखता पढता हूँ- रविकर यह क्या बीमारी है- |
man ka manthan. मन का मंथन।अनुपम बलिदान...
बलिदानी दानी दिखे, लिखे नाम इतिहास |
करे हास-परिहास जग, पर वे सत्य प्रकाश | पर वे सत्य प्रकाश, पुत्र चारो न्यौछावर | जय जय पन्ना धाय, कौन माँ तुझसे बेहतर | हरिश्चन्द्र का सत्य, हजारों सत्य कहानी | परम्परा आदर्श, नमन सादर बलिदानी- |
बन जाओ न नीला समंदर.....
रश्मि शर्मा
हो अभाव जब भाव का, अन्तर बढ़ता जाय | हृदयस्थल में मरुस्थल, अन्तर मन अकुलाय- |
लघु व्यंग्य- अरहर महादेव !पी.सी.गोदियाल "परचेत"अंधड़ ! -पूजन है मदनारि का, मद में दिखती नारि |
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पक्षपात की भेंट, जान का सौदा होता | काटे कौवा खेत, फसल चाहे जो बोता | नगरी में अंधेर, मूर्ख जन बसते दुर्जन | नहीं किसी की खैर, भाग जाते हैं सज्जन || |
बहुत बढिया ...
ReplyDeleteआद्रणीय रविकर जी नमस्ते... आप अपने नाम के ही अनुकूल ही हमे अपने काव्यमय प्रकाश से प्रकाशित कर रहे हैं...
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल मंगलवार (23-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सार्थक
ReplyDeleteyahan aakar achha lga .. achhi rachnaye mili padhane ko .. jo dil se juda hai :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर रविकर जी !
ReplyDeletelatest दिल के टुकड़े
latest post क्या अर्पण करूँ !
बहुत सुंदर लिखा है आपने..बहुत दिनों बाद अपनी रचना यहां देख कर खुशी हुई।
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