Friday, 26 July 2013

कई प्रवक्ता बहुवचन, थोथा शब्द प्रहार-




कार्टून कुछ बोलता है- दहशतगर्द भोजन !


पी.सी.गोदियाल "परचेत" 



 गुरुवर मिड डे मील पर, पाले नव फरमान |
कुत्तों को पकड़ा रहे, पा जोखिम में जान |
पा जोखिम में जान, प्यार से उसे जिमायें |
खा के पहला ग्रास, अगर कुत्ता बच जाए |
आय जान में जान, किन्तु कुक्कुर कुल बढ़कर |
सरपट जाते भाग, पड़ें मुश्किल में गुरुवर ||


 लालित्यम्
हरदम हद हम फांदते, कब्र पुरानी खोद 
 सामूहिक धिक् धिक् कहें, सामूहिक सामोद 
 सामूहिक सामोद, गोद में जिसकी खेले 
 जीव रहे झट बेंच, बिना दो पापड बेले 
केवल भोग विलास, लाश का निकले दमखम 
बनते रहे लबार, स्वार्थमय जीवन हरदम


जाँघो पर लिखने लगा, विज्ञापन जापान |
स्लीब-लेस ड्रेस रोकता, पर यह हिन्दुस्तान |
पर यह हिन्दुस्तान, खबर इंदौर बनाए |
कन्याएं जापान, हजारों येन कमायें |
बिना आर्थिक लाभ, कभी तो सीमा लाँघो |
डायरेक्टर धिक्कार, जियो जापानी जाँघो |


फिर भी शेष गरीब, बड़े काहिल नालायक-

लोरी कैलोरी बिना, बाल वृद्ध संघर्ष |
किन्तु गरीबी घट गई, जय हे भारतवर्ष |

जय हे भारत वर्ष, जयतु जन गन अधिनायक |
फिर भी शेष गरीब, बड़े काहिल नालायक |
कमा सकें नहिं तीस, खाय अनुदान अघोरी |
या नेता चालाक, लूटते गाकर लोरी  ||


Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून

झापड़ पाँच रसीद कर, कर मसूद को माफ़  |
हिले तराजू राज का,  बालीवुड इन्साफ |
बालीवुड इन्साफ, रुपैया बारह ले ले |
ओढ़े बब्बर खाल, गधे को पब्लिक झेले |
करते जद्दो-जहद , बेलना पड़ता पापड़ |
आ जाती तब अक्ल, पेट भरता ना झापड़ ||

पानी मथने से नहीं, मिलता घी श्रीमान |
अब्दुल्ला भी खा रहे, इक रूपये में जान ||

मोदी कहते इकवचन, दे धिक् धिक् धिक्कार |
कई प्रवक्ता बहुवचन, थोथा शब्द प्रहार |
थोथा शब्द प्रहार, सारवर्जित सा सारे  |
प्रवचन कर अखबार, मीडिया भी बेचारे |
विश्वसनीयता आज, सभी ने अपनी खो दी |
शुभ कुण्डलियाँ राज, राज पायेगा मोदी ||

 सृजन मंच ऑनलाइन
पढ़ कर रचना कार नव, पाता है प्रतिदर्श |
शिल्प कथ्य मजबूत है, कुण्डलियाँ आदर्श |
कुण्डलियाँ आदर्श,  देखकर वह अभ्यासी |
अल्प-समय उत्कर्ष, रचे फिर अच्छी-खांसी | 
अग्रदूत आभार, टिप्पणी करता रविकर |
उत्तम चिट्ठाकार, बनूँ भैया को पढ़ कर ||






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