कार्टून :- आप इनमें से कौन से वाले ब्लॉगर हैं ?
आपत्ती पर जील की, इक फोटो दी डाल ।
तैंतिस प्रतिशत कीजिए, करिए नहीं बवाल ।
करिए नहीं बवाल, बड़ी संख्या है भाई ।
घोटूं मुँह में राल, नजर रविकर ललचाई ।
जौ-जौ आगर ब्लॉग, बड़े सब रत्ती-रत्ती ।
पुरस्कार पा जाय, उन्हें फिर क्या आपत्ती ??
रविकर पोचा जब भी सोचा, बुरा बुरा ही सोचा |
मन का बागी बिना बिचारे, खाँख खाँख कर कोंचा |
दर्द मर्द का बाहर आया, बहा रक्त का दरिया -
आँखें विस्फारित सजनी की, जगह जगह से नोचा ||
रोटी पूरी खा रहे, चिकन का कुर्ता झाड़ ।।
ललचाय रही लुच्ची लीची, मन सबका भरमाये ।
प्राची प्रांजल को बाबा जी, लाकर खूब खिलाये ।|
देहरादून उत्तरांचल की, लीची लेकिन खट्टी-
यह रविकर धनबाद बसा है, कैसे लीची खाए ??
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मन का बागी बिना बिचारे, खाँख खाँख कर कोंचा |
दर्द मर्द का बाहर आया, बहा रक्त का दरिया -
आँखें विस्फारित सजनी की, जगह जगह से नोचा ||
बड़े नवाबों ने किया, बढ़िया और जुगाड़ ।
रोटी पूरी खा रहे, चिकन का कुर्ता झाड़ ।।
स्त्री की फोटू देख जिया रविकर ललचाया,
ReplyDeleteया पुरस्कार को भांप राल उसके मुँह आया!
अभी तलक मन भावन फोटू, कार्टून न पाया |
Deleteपुरस्कार की खातिर रविकर, मन नादाँ ललचाया ||
पुरस्कार पाने के खातिर न हो इतने आधीर
Deleteलाइन में मै भी लगा हूँ,रखे ह्रदय में "धीर"
बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteकहाँ-कहाँ से खींच-खांच कर लाते रविकर,
ReplyDeleteसबके बस का नहीं ,नोचना सबसे दुष्कर :-)
शायद इस ब्लॉग पर मैं पहली बार आया हूं ☺ अच्छा लगा
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteबहुत खूब!
अच्छी भावाभिव्यक्तियाँ है।
Dinesh ji, I'm really mesmerized by your witty mind and awesome creations. The more I read you , the more I admire.
ReplyDeleteरसीली चर्चा ...आभार आपका !
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