धरती तो पूरी लूट खाई हरामखोरों, जाकर गगन देखो !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
अंधड़ !
अंधड़ !
शेर एक से एक है, प्रगट करूँ आभार |
सावधान हे पाठकों, बेहद पैनी धार ||
सावधान हे पाठकों, बेहद पैनी धार ||
कुंडली
धरा लूट के यूँ धरा, धनहर धूम धड़ाक ।
सात समंदर पार कर, रहा आसमाँ ताक ।
रहा आसमाँ ताक , बसेगा अब मंगल पर ।
फितरत फिर नापाक, बड़ी है इसकी रविकर ।
शैतानी अरमान, बसाने को उद्दत सब ।
किया बड़ा नुक्सान, धरा पूरी आहत अब।
मेरी भी सुन लो -
यशवन्त माथुर
तुझको तो मैं लूँ बचा, मुझको कौन बचाय |
मैं भी बच जाऊं मगर, मारें गला दबाय |
मैं भी बच जाऊं मगर, मारें गला दबाय |
मारें गला दबाय, दूध का बड़ा कठौता |
देंगे चटा अफीम, करे न ये समझौता |
काट रहे ये डाल, नहीं चेतें हैं अब तक |
रही इन्हें जो पाल, काटते उसका मस्तक ||
आधे संसार में कुछ पूरे दिन
sidheshwer
कर्मनाशा
कर्मनाशा
अंचल जी का शुक्रिया, देता शुभ आशीष ।
पर्वत घाटी नदी सर, इस अंचल के ईश ।
इस अंचल के ईश, चित्र बेहद खुबसूरत ।
यह आधा संसार, प्यार से भैया *घूरत ।
*घूमना
चौकोड़ी के मोड़, बहे पत्थर में पानी ।
शांत सुरम्य स्थान, हुई दुनिया दीवानी ।। Untitled
Roshi at Roshiडालो बोरा फर्श पर, रखो क्रोध को *तोप |
डीप-फ्रिजर में जलन को, शीतलता से लोप |
*ढककर
शीतलता से लोप, कलेजा बिलकुल ठंडा |
पर ईर्ष्या बदनाम, खाय ले मुर्गा-अंडा |
दो जुलाब का घोल, ठीक से इसे संभालो |
पाहून ये बेइमान, विदा जल्दी कर डालो ||
टिप्पी का टिप्पा टैण टैणेन ..
टिप्पणियां ...पोस्ट को ज़िंदा रखती हैं
बढ़िया विश्लेषण करें, टिप्पणियों की आप |
चुन चुन कर देते यहाँ, इस ब्लॉग पर छाप |
इस ब्लॉग पर छाप, चितेरे बड़ी बधाई |
बड़े महत्व की टीप, पोस्ट पर जितनी आई |
सब की सब हैं स्वर्ण, छाँट कर धरो अमोलक |
अनुकरणीय प्रयास, बजाओ ढम ढम ढोलक ||
हृदय का संस्कार
प्रतुल वशिष्ठदर्शन-प्राशन
वर्षों की संख्या तीन हुई, नित दीन-हीन अति-क्षीण हुई |
कल्पनी काट कल्पना गई, पर विरह-पत्र उत्तीर्ण हुई ||
कल पाना कैसे भूल गए, कलपाना चालू आज किया -
बेजार हजार दिनों से मैं, क्या प्रेम-प्रगाढ़ विदीर्ण हुई ??
ब्लॉगर्स की दो कटौगरी -- भैया के लाल जियें
ZEALमुश्किल में मुस्काते जाते, बड़ा हौसला उत्साही |
कंटकाकीर्ण पथ पर बढ़ते, उदाहरण बढ़िया राही ||
रविकर की अपनी शैली, बुद्धि कम उपयोग करे-
सीधा सादा जीवन जीता , ढूँढ़ रहा इक हमराही ||
"विदाई"
Sushil
"उल्लूक टाईम्स "
बुलबुल चुलबुल दें दुआ, बाबुल का अंदाज |
शेर गीत भाषण पढ़ें, अंतिम दिन का ताज |
अंतिम दिन का ताज, नाज फिर सभी उठाते |
तनिक लगे न लाज, गिफ्ट बढ़िया ले जाते |
देते वाहन साज, बदन भारी जो थुल-थुल |
चार जने का काज, करे फट बुलबुल चुलबुल ||
बुलबुल चुलबुल दें दुआ, बाबुल का अंदाज |
शेर गीत भाषण पढ़ें, अंतिम दिन का ताज |
अंतिम दिन का ताज, नाज फिर सभी उठाते |
तनिक लगे न लाज, गिफ्ट बढ़िया ले जाते |
देते वाहन साज, बदन भारी जो थुल-थुल |
चार जने का काज, करे फट बुलबुल चुलबुल ||
सभी कुण्डलिया सार्थक हैं!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteसार्थक और सटीक
ReplyDeleteकल पाना कैसे भूल गए, कलपाना चालू आज किया -
ReplyDeleteबेजार हजार दिनों से मैं, क्या प्रेम-प्रगाढ़ विदीर्ण हुई ??....
गजब की पंक्तियाँ!... वाह क्या बात है सर जी।
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काट रहे ये डाल, नहीं चेतें हैं अब तक |
ReplyDeleteरही इन्हें जो पाल, काटते उसका मस्तक ||
कैसे ये निर्लज्ज मारते भावी माता ,भाषण में कहते हैं इसको भारत माता .......ओ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान् की सूरत क्या होगी ?
सार्थक सटीक कुण्डलियाँ,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,
आपको किसने बताया गिफ्ट के बारे में?
ReplyDeleteआभार !
विदा किया जिस व्यक्ति को, उसका नंबर पास |
Deleteसठियाया है तभी तो, कर बैठा बकवास ||