"चाँद मान भी जा "
Sushil
चाँद सितारे चाहता, भंवरा खुश्बू फूल ।
लगता फिर से हिल गई, है दिमाग की चूल ।
है दिमाग की चूल, गधे सी सोच बना ले ।
सीवर में हर बार, चोंच की लोट लगा ले ।
लिस्ट हाथ में थाम, बाम माथे पे मलना ।
निपटाओ हर काम, चाल न कहीं बदलना ।।
कुछ भी लिख लो क्या जाता है
ReplyDeleteरविकर उस पर टिपियाके
मृ्त लिखे में प्राण ले आता है ।
:-)
ReplyDeleteसादर
वाह क्या बात है !!!!!!!!
ReplyDeleteटिप्पणी के रूप में सभी कवित्व बहुत सटीक हैं।
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