आंसुओं की धार से उद्धार चाहे, बहुत अच्छे ।
याद हरदम आपकी सुधबुध भुलाए, बहुत अच्छे।
पैर में हों बेड़ियाँ अवरोध आये तेज गति में-
दो पंख दे दो ताकि तेरे पास आयें , बहुत अच्छे ।
लालसा यह मोह माया भूख सारी छीन लो
रीते नयन में ताकि तुमको बसायें, बहुत अच्छे ।।
सैकड़ों पूनम बिखेरी चांदनी,
ख़ास थी पर शरद वाली, ठीक दीदी ।
वह सुहावन मनभावन शीतलता
हृदय में अमरत्व पाली, ठीक दीदी ।।
चाँद ने चांदनी लुटाई
Asha Saxena
सैकड़ों पूनम बिखेरी चांदनी,
ख़ास थी पर शरद वाली, ठीक दीदी ।
वह सुहावन मनभावन शीतलता
हृदय में अमरत्व पाली, ठीक दीदी ।।
कार्टून:- लो और सुनो...
स्वामी स्वामी राष्ट्र के, अच्छी नेक सलाह ।
बड़े मुकदमें बंद हों, वाह वाह वल्लाह ।
वाह वाह वल्लाह , नया मनमोहन पाओ ।
मन-माफिक हो राह, मुहर मन भर लगवाओ ।
कर रविकर आगाह, किया बाबा बदनामी ।
ताक -झाँक का शाह, बड़ा नटखट है स्वामी ।।
ऐसा लगा मानों हमारी रचना की ताजपोशी हो गयी हो....
ReplyDeleteशुक्रिया रविकर जी.
लगा क्या?
ReplyDeleteवाकई हो गयी ।
रविकर जी कर चुके बधाई ।
अच्छी सलाह,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
लगे रहो रविकर भाई !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
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