DR. ANWER JAMAL
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हँसुवा की शादी लगी, पर नितीश की रीत ।
आ'मोदी मद में रहे, गा खुरपी के गीत ।
गा खुरपी के गीत, स्वार्थ का भैया चक्कर ।
युद्ध-काल यह शीत, डाल इंजन में शक्कर ।
करते खेल खराब, तीर से कई निशाने ।
कीचड़ का चर कमल, बड़े गहरे हैं माने ।।
हुई मार्केट ब्लैक, रसोई माँ की रोई |
रोटी सरसों साग, आग चूल्हे की खोई |
जारी भागमभाग, रास्ता कितना नापा |
सब रोगों का बाप, किन्तु है यही मुटापा ||
भीषण गर्मी से थका, मन-चंचल तन-तेज |
भीग पसीने से रही, मानसून अब भेज |
मानसून अब भेज, धरा धारे जल-धारा |
जीव-जंतु अकुलान, सरस कर सहज सहारा |
पद के सुन्दर भाव, दिखाओ प्रभु जी नरमी |
यह तीखी सी धूप, थामिए भीषण गरमी ||
"उल्लूक टाईम्स "
ये है मेरा इंडिया
veerubhai at ram ram bhai
टापा भारत ने सही, अब है नम्बर एक |
मधुमेह कैंसर भ्रष्टता, हुई मार्केट ब्लैक |
मधुमेह कैंसर भ्रष्टता, हुई मार्केट ब्लैक |
हुई मार्केट ब्लैक, रसोई माँ की रोई |
रोटी सरसों साग, आग चूल्हे की खोई |
जारी भागमभाग, रास्ता कितना नापा |
सब रोगों का बाप, किन्तु है यही मुटापा ||
सखी बरखा
भीग पसीने से रही, मानसून अब भेज |
मानसून अब भेज, धरा धारे जल-धारा |
जीव-जंतु अकुलान, सरस कर सहज सहारा |
पद के सुन्दर भाव, दिखाओ प्रभु जी नरमी |
यह तीखी सी धूप, थामिए भीषण गरमी ||
"जवान के साथ जा जवान हो जा "
Sushil"उल्लूक टाईम्स "
अपने अपने दर्द की, रहे दवा सब खोज ।
कुछ तो दुआ-भभूत में, कुछ कसरत से रोज ।
कुछ कसरत से रोज, पोज लख ओज बढाते ।
पर बीबी के डोज, जुल्म कुछ ऐसा ढाते ।
भीगी बिल्ली भूख, देखती चूहे सपने ।
गेंहू और गुलाब, छांटते खूसट अपने ।। कासे कहे...
डॉ. जेन्नी शबनम
लम्हों का सफ़र
दो शब्दों की पंक्तियाँ, ढाती जुल्म अपार ।
पीर पराई कर रही, शब्दों का व्यापार ।
शब्दों का व्यापार, सफ़र लम्हों का चालू ।
सावन मोती प्यार, सीप-मन श्रृद्धा पा लूं ।
पर तडपे मन-व्यग्र, ढूँढ़ता सच्चा हमदम ।
ताप लगे अति तेज, बचा ले बिखरी शबनम ।। यहाँ, ऐसा ही होता है ...(संस्मरण)
अदा
काव्य मंजूषा
जाले
मीता ने जीता हृदय, जो टूटा दो बार |
प्रथम मौत साजिश करे, दूजा पुत्र विचार |
दूजा पुत्र विचार, जिया इतिहास दुबारा |
दे जाता वह दर्द, पुत्र पर जीवन वारा |
कंप्यूटर जन-जाल, पुन: दे गया सुबीता |
चमत्कार परनाम, मिला मीता मनमीता ||
कैसा अंतर्द्वंद यह, कैसा यह संताप |
चाहूँ तुम्हे पुकारना, पर रहती चुपचाप |
पर रहती चुपचाप, अश्रु-धारा को धारा |
रही रास्ता नाप, पुकारी नहीं दुबारा |
प्रीति नहीं अपनाय, गुजारिश ठुकराते हो |
पोता भाई पुत्र, इन्हें ही अपनाते हो |
बाबा-दादी का मिला, पावन आशिर्वाद |
माँ-बापू करते सदा, भोले से फ़रियाद |
भोले से फ़रियाद, यशस्वी नाम कमाओ |
प्राची-प्रांजल सरिस, शीघ्र ही बच्चे पाओ |
रविकर का आशीष, जिए जुग-जुग यह जोड़ी |
बढ़ो लक्ष्य की ओर, हटें रस्ते की रोड़ी ||
सरल कनाडा पुलिस है, विकट-काल में शांत ।
आलोकित परिसर करे, स्वत: शांत हर भ्रांत ।
स्वत: शांत हर भ्रांत, प्रांत भारत के लेकिन ।
रहे सशंकित साधु , हेल्प लगती नामुमकिन ।
चढ़ा चढावा ढेर, करो फिर हेरा-फेरी ।
आँखे रहें तरेर, किन्तु दुर्जन की चेरी ।।हिलोर
(पुरुषोत्तम पाण्डेय)जाले
मीता ने जीता हृदय, जो टूटा दो बार |
प्रथम मौत साजिश करे, दूजा पुत्र विचार |
दूजा पुत्र विचार, जिया इतिहास दुबारा |
दे जाता वह दर्द, पुत्र पर जीवन वारा |
कंप्यूटर जन-जाल, पुन: दे गया सुबीता |
चमत्कार परनाम, मिला मीता मनमीता ||
फिर कली बना दो
चाहूँ तुम्हे पुकारना, पर रहती चुपचाप |
पर रहती चुपचाप, अश्रु-धारा को धारा |
रही रास्ता नाप, पुकारी नहीं दुबारा |
प्रीति नहीं अपनाय, गुजारिश ठुकराते हो |
पोता भाई पुत्र, इन्हें ही अपनाते हो |
"आज विनीत चाचा का जन्मदिन है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
बाबा-दादी का मिला, पावन आशिर्वाद |
माँ-बापू करते सदा, भोले से फ़रियाद |
भोले से फ़रियाद, यशस्वी नाम कमाओ |
प्राची-प्रांजल सरिस, शीघ्र ही बच्चे पाओ |
रविकर का आशीष, जिए जुग-जुग यह जोड़ी |
बढ़ो लक्ष्य की ओर, हटें रस्ते की रोड़ी ||
बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteMY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteपद के सुन्दर भाव, दिखाओ प्रभु जी नरमी |
ReplyDeleteयह तीखी सी धूप, थामिए भीषण गरमी ||
दुबकी लगाके लिखते हैं आप गहरी रचना के मर्म तक जा पहुँचते हैं .शुक्रिया 'ये है मेरा इंडिया '.पर आपकी लयात्मक टिपण्णी का .
महती किरपा आपकी, हमरी पोस्ट योग्य पाय
ReplyDeleteभाँति-भाँति के छंद से, सबकी पोस्ट सजाय
सबकी पोस्ट सजाय, हमरी टिप्पणी बलिहारी
धन्यवाद स्वीकारिये, हैं बहुत आभारी
आभार !!
ReplyDeleteबहुत सुंदर !!
सारे के सारे पद्य अच्छे और रोचक लगे।
ReplyDeleteआपकी शुभकामनाओं को काव्य में देखकर अच्छा लगा!
ReplyDeleteसभी कवित्त बहुत बढ़िया हैं।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (23-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!