Monday, 28 October 2013

शहजादे कहना नहीं, करूँ अन्यथा बंद -








बोले थे जो जनार्दन, दिखे वही छल छंद । 
शहजादे कहना नहीं, करूँ अन्यथा बंद । 

करूँ अन्यथा बंद, लगेंगे दो दिन केवल। 
आइ यस आई लिंक, बना लेता क्या सम्बल । 

हो पटने में ब्लास्ट, जहर मानव-बम घोले । 
पर बच जाता मंच, पुन: मोदी यह बोले ॥ 

मोदी की रैली से पहले पटना में सीरियल ब्लास्ट, 8 धमाकों में 5 की मौत

राजेश श्रीवास्तव 







होंय सीरियल ब्लास्ट इत, उत नेता बिल-खाय |
इक दूजे को दोषते, पाक साफ़ दिखलाय |

पाक साफ़ दिखलाय, पाक को  देते अवसर |
बिछती जाती लाश, भीड़ की दुर्गति रविकर |

हे नेता समुदाय, लगा लो थोड़ी अक्कल |

यहाँ बहू ना सास, ब्लास्ट यह होय सीरियल- 


प्रधानमंत्री ने की पटना विस्फोट की निंदा, शांति बनाये रखने की अपील.


आभारी पटना शहर, हे गांधी मैदान |
बम विस्फोटों से गई, महज पाँच ठो जान |

महज पाँच ठो जान, अगर भगदड़ मच जाती |
होता लहूलुहान , पीर ना हृदय समाती |

होवे अनुसंधान, पकड़िये अत्याचारी |
बना रहे यह तंत्र, लोक हरदम आभारी || 


 सत्य वचन थे कुँवर के, आज सुवर भी सत्य |
दोष संघ पर दें लगा, बिना जांच बिन तथ्य | 

बिना जांच बिन तथ्य, बड़े बडबोले नेता |
हुई सभा सम्पन्न, सभा के धन्य प्रणेता |

बीता आफत-काल, हकीकत आये आगे |
फिर से खड़े सवाल, किन्तु सुन नेता भागे ||
हिन्‍दुस्‍तान में हिन्‍दू होने की सजा

Vikesh Badola

सीधे जाना काम पर, घर आना चुपचाप |
देरी होती है अगर, जाय कलेजा काँप |
जाय कलेजा काँप, देवता सभी मनाऊँ  |
अति-चिंतित माँ बाप, लौट कर जब तक आऊँ |
बचपन से दी सीख, कहीं काँटा जो बीधे |
कर के उसे प्रणाम, लौट घर आना सीधे ||

पैरो के नीचे कही, चीटी भी गर आय |
उसे बचाकर निकलिए, पैर नहीं पड़ जाय |
पैर नहीं पड़ जाय, जीव को नहीं सताओ |
जो भूखे असहाय, उन्हें रोटियां खिलाओ |
धर्म भीरु बन जाय, हिन्दु क्या छुरी भोंके |
खुद को किन्तु बचाय, स्व्यं को चुप्पै रोके ||

हुई सभा सम्पन्न, सभा के धन्य प्रणेता -


अंदेशा बिलकुल नहीं, पर दुर्घटना होय |
सी एम् ने जो भी कहा, गया करेज करोय |

गया करेज करोय, वाह रे साबिर अनवर |
दिग्गी की क्या बात, सत्यब्रत धमकी देकर |

शहजादे मत बोल, खुला देता संदेसा |

दो दिन में हो बंद, होय रविकर अंदेशा ||

रावण, कौशल्या और दशरथ : भगवती शांता : मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन

प्रबंध काव्य का लिंक:- मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता

भाग-4
रावण, कौशल्या और दशरथ

दशरथ-युग में ही हुआ, रावण विकट महान |
पंडित ज्ञानी साहसी, कुल-पुलस्त्य का मान ||1|

 शिव-चरणों में दे चढ़ा, दसों शीश को काट  |
 फिर भी रावण ना सका, ध्यान कहीं से बाँट । |

युक्ति दूसरी कर रहा, मुखड़ों पर मुस्कान ।
छेड़ी  वीणा  से  मधुर, सामवेद  की  तान ||
  
भण्डारी ने भक्त पर, कर दी कृपा अपार |
मिली शक्तियों से हुवे,  पैदा किन्तु विकार ||

7 comments:

  1. अनोखे सूत्र सन्देश ....

    ReplyDelete
  2. धन्‍यवाद एवं शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  3. सुंदर सूत्र संयोजन हमेशा की तरह लाजवाब !

    ReplyDelete
  4. शुक्रिया रवि साहब

    ReplyDelete
  5. nice.
    please see-
    Bomb Blast का क़िस्सा

    http://blogkikhabren.blogspot.in/2013/10/bomb-blast.html

    ReplyDelete
  6. सुंदर लेखों से सजा लिख्खाडों
    का मंच।
    आपकी कुंडलियां हमेशा की तरह जोरदार।

    ReplyDelete