SACCHAI
कर्जा खाए पार्टियाँ, रही चुकाय उधार |
मंत्री गृह-मंत्री कभी, कभी सकल सरकार |
कभी सकल सरकार, तुम्हे दे सकल संपदा |
तुम ही तारण-हार, हरोगे तुम ही विपदा |
खोवे रविकर होश, पाय के दोयम दर्जा |
हक़ अव्वल निर्दोष, उठा तू मोटा कर्जा |
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उठाओ कुदाल !
Amrita Tanmay
जीवन यात्रा क्यूँ रुके, प्रेषित गीता मर्म |
प्रेषित गीता मर्म, धर्म अपना अपनाओ |
खिले धूप से चर्म, हाथ फावड़ा उठाओ |
हल से हल हो प्रश्न, छोड़ मत धरती परती |
मनें रोज ही जश्न, जाति जब कोशिश करती ||
कच कच कच्छ कछाड, करे क्या मोदी मोरा-
History
मोरारारि कांग्रेस में, कांग्रेसी मोरार |
शास्त्री जी पी एम् बने, पहले लग्गी मार |
पहले लग्गी मार, गया गुजरा गुजराती |
कामराज का हाथ, इंदिरा जी फिर आती |
पी एम् से गुजरात, नहीं ना नाता जोरा |
कच कच कच्छ कछाड, करे क्या मोदी मोरा ||
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शीघ्र कायदा सीख, गया "रविकर" धमकाया-कार्टूनिष्ट :-श्री विनय कुल
कार्टूनिष्ट :- ओ बी ओ सदस्य श्री विनय कुल
आया फाँकी मार के, ऑफिस का तो नाम |
जल्दी कर बरतन सफा, रफा दफा कर काम |
रफा दफा कर काम , फटाफट डिनर बनाओ |
मेरे सिर पर बाम, किन्तु पहले मल जाओ |
शीघ्र कायदा सीख, गया "रविकर" धमकाया |
अलकायदा बुलाय, अन्यथा माली आया ||
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता
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मुर्दे हुवे मुरीद, डराये अलग-कायदा-
Untitled
PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)
वायदा करते जाइये, भली करें ना राम |
हक़ नाहक दे मत उन्हें, सकते छीन तमाम |
सकते छीन तमाम, दुर्ग भी सकें भेद वे |
वोट बैंक मजबूत, तभी दल चाटें तलवे |
मुर्दे हुवे मुरीद, डराये अलग-कायदा |
पलकों पर बैठाय, करे लीडरी वायदा ||
उमड़ घुमड़ के बादल बरसे, फिर भी धरती तरसे |
ताजा बासी जो भी मिलता, पा रविकर मन हरसे-
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कार्टून :- कविता तेरे खेल निरालेभूसा भरा दिमाग में, रविकर फांके धूल | पढ़िए कुण्डलियाँ मगर, कार्टून करूं क़ुबूल | कार्टून करूं क़ुबूल, मस्त यह दाँव सिखाया | काजल नयनन डाल, आज बच्चा गुर्राया | दिया कवित्त सुनाय, खाय के दो ठो घूसा | हुआ शत्रु बेहोश, भरा था किंवा भूसा || |
बेहतरीन लिंक रवि साहब
ReplyDeleteआपके द्वारा लिखी गई लाइनों ने दिल जीत लिया
कर्जा खाए पार्टियाँ, रही चुकाय उधार |
मंत्री गृह-मंत्री कभी, कभी सकल सरकार |
कभी सकल सरकार, तुम्हे दे सकल संपदा |
तुम ही तारण-हार, हरोगे तुम ही विपदा |
खोवे रविकर होश, पाय के दोयम दर्जा |
हक़ अव्वल निर्दोष, उठा तू मोटा कर्जा |
वाह !
वाह ! होश तो सबका खोता है ..सुन्दर संयोजन सूत्रों का..
ReplyDeleteबहुत बढिया..
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