Sunday, 27 October 2013

यहाँ बहू ना सास, ब्लास्ट यह होय सीरियल-


मोदी की रैली से पहले पटना में सीरियल ब्लास्ट, 8 धमाकों में 5 की मौत

राजेश श्रीवास्तव 







होंय सीरियल ब्लास्ट इत, उत नेता बिल-खाय |
इक दूजे को दोषते, पाक साफ़ दिखलाय |

पाक साफ़ दिखलाय, पाक को  देते अवसर |
बिछती जाती लाश, भीड़ की दुर्गति रविकर |

हे नेता समुदाय, लगा लो थोड़ी अक्कल |
यहाँ बहू ना सास, ब्लास्ट यह होय सीरियल-

प्रधानमंत्री ने की पटना विस्फोट की निंदा, शांति बनाये रखने की अपील.


आभारी पटना शहर, हे गांधी मैदान |
बम विस्फोटों से गई, महज पाँच ठो जान |

महज पाँच ठो जान, अगर भगदड़ मच जाती |
होता लहूलुहान , पीर ना हृदय समाती |

होवे अनुसंधान, पकड़िये अत्याचारी |
बना रहे यह तंत्र, लोक हरदम आभारी || 


सत्य वचन थे कुँवर के, आज सुवर भी सत्य |
दोष संघ पर दें लगा, बिना जांच बिन तथ्य | 

बिना जांच बिन तथ्य, बड़े बडबोले नेता |
हुई सभा सम्पन्न, सभा के धन्य प्रणेता |

बीता आफत-काल, हकीकत आये आगे |
फिर से खड़े सवाल, किन्तु सुन नेता भागे ||

नहीं आ रहा बाज, बजाये मारू बाजा-


बाजारू संवेदना, दिया दनादन दाग |
जिसको भी देखो यहाँ, उगल रहा है आग |

उगल रहा है आग, जाग अब जनता जाती |
लेकर मत में भाग, जोर से उन्हें भगाती |

छद्म रूप में धर्म, आज निरपेक्ष विराजा|
नहीं आ रहा बाज, बजाये मारू बाजा || 


बिस्कुट खाए रावना, लगे राम पर दोष |
आग लगाए सावना, कोसें पिया पड़ोस |

कोसें पिया पड़ोस, कौन दंगे करवाता |
करते किस पर रोष, क्लीन चिट के पा जाता |

करे सियासत धूर्त, घुसे हैं जबसे चिरकुट |
देते गलत बयान, खाय परदेशी बिस्कुट ||

नइखे नूंssss

देवेन्द्र पाण्डेय 
 नइखे नूँ की पेशकश, भर देती आनंद |
लिट्टी चोखा सा सरस, कविता का हर बंद |

कविता का हर बंद, छंद छल-छंद मुक्त है |
हास्य-व्यंग मनु द्वंद, हकीकत दर्द युक्त है |

साधुवाद हे मित्र, हाल पढ़ रविकर चीखे |
पानी रहे खरीद, यहाँ पर पानी नइखे ||, 


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