राजेश श्रीवास्तव
होंय सीरियल ब्लास्ट इत, उत नेता बिल-खाय |
इक दूजे को दोषते, पाक साफ़ दिखलाय |
पाक साफ़ दिखलाय, पाक को देते अवसर |
बिछती जाती लाश, भीड़ की दुर्गति रविकर |
हे नेता समुदाय, लगा लो थोड़ी अक्कल |
यहाँ बहू ना सास, ब्लास्ट यह होय सीरियल-
|
आभारी पटना शहर, हे गांधी मैदान |
बम विस्फोटों से गई, महज पाँच ठो जान |
महज पाँच ठो जान, अगर भगदड़ मच जाती |
होता लहूलुहान , पीर ना हृदय समाती |
होवे अनुसंधान, पकड़िये अत्याचारी |
बना रहे यह तंत्र, लोक हरदम आभारी ||
|
|
सत्य वचन थे कुँवर के, आज सुवर भी सत्य |
दोष संघ पर दें लगा, बिना जांच बिन तथ्य |
बिना जांच बिन तथ्य, बड़े बडबोले नेता |
हुई सभा सम्पन्न, सभा के धन्य प्रणेता |
बीता आफत-काल, हकीकत आये आगे |
फिर से खड़े सवाल, किन्तु सुन नेता भागे ||
बाजारू संवेदना, दिया दनादन दाग |
जिसको भी देखो यहाँ, उगल रहा है आग |
उगल रहा है आग, जाग अब जनता जाती |
लेकर मत में भाग, जोर से उन्हें भगाती |
छद्म रूप में धर्म, आज निरपेक्ष विराजा|
नहीं आ रहा बाज, बजाये मारू बाजा ||
|
|
बिस्कुट खाए रावना, लगे राम पर दोष |
आग लगाए सावना, कोसें पिया पड़ोस |
कोसें पिया पड़ोस, कौन दंगे करवाता |
करते किस पर रोष, क्लीन चिट के पा जाता |
करे सियासत धूर्त, घुसे हैं जबसे चिरकुट |
देते गलत बयान, खाय परदेशी बिस्कुट ||
देवेन्द्र पाण्डेय
नइखे नूँ की पेशकश, भर देती आनंद |
लिट्टी चोखा सा सरस, कविता का हर बंद |
कविता का हर बंद, छंद छल-छंद मुक्त है |
हास्य-व्यंग मनु द्वंद, हकीकत दर्द युक्त है |
साधुवाद हे मित्र, हाल पढ़ रविकर चीखे |
पानी रहे खरीद, यहाँ पर पानी नइखे ||,
|
उम्दा...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDelete