Tuesday 1 October 2013

शहजादे का कोप, इसी से आता जाता-

  

कार्टून :- भरत से खड़ाऊँ वसूलने के दि‍न आए ?

noreply@blogger.com (काजल कुमार Kajal Kumar)

 आता जाता क्रोध है, खाता देता फाड़ |
खड़ा खडाऊं के लिए, चला झोंकने भाड़ |
चला झोंकने भाड़, इकट्ठा करता ईंधन |
ऊ धन का उपयोग, जिताए महा इलेक्शन |
मोहन सत्ता सौंप, नहीं अब तुझको भाता |
शहजादे का कोप, इसी से आता जाता ||

अध्यादेश

गाँधी रंग जमात नव, बड़बड़ाय चल जात |
पद चिन्हों पर फिर चले, सत्ता सकल जमात ||

गांधीजी के नहाने का दिन

Bamulahija dot Com 
गाँधी कब का भूलते, दो अक्तूबर दोस्त |
दायें बीयर बार जब, बाएं बिकता गोश्त |
बाएं बिकता गोश्त, पार्क में अनाचार है |
उधम मचाएं लोग, तडपती दिखे नारि है |
इत मोदी का जोर, बड़ी जोरों की आँधी |
उत उठता तूफ़ान, बड़े गुस्से में गाँधी ||



पट्टे टें टें कर उठा, राम-राम को भूल |
मिर्ची से कडुवे लगे, पुन: सुपुत्र उसूल |

पुन: सुपुत्र उसूल, तूल ना देते बप्पा |
पोता रहे खिलाय, वंश का जिस पर ठप्पा |

पुत्र बसा परदेश, करें क्यूँ रिश्ते खट्टे |
माता देती डांट, करे चुप अपना *पट्टे |
*तोता



आलू-बंडे से अलग, मुर्गी-अंडे देख -


आज तक

-खंडवा जेल से फरार हुए सिमी के 7 कार्यकर्ता, बाथरूम की दीवार कूदकर भागे--

आलू-बंडे से अलग, मुर्गी अंडे देख |
बा-शिन्दे अभिमत यही, भेजें यह अभिलेख |

भेजें यह अभिलेख, नहीं भेजे में आये |
गिरा आम पर गाज, बड़ा अमलेट बनाए |

भेदभाव कुविचार, किचन कैबिनट में चालू | 
 अंडे हुवे विशेष, हमेशा काटे आलू ||

(2)
बंडे-आलू काट झट, गृह मंत्री की डांट |
बा-शिन्दे अभिमत यही, अंडे लेना छाँट |

अंडे लेना छाँट, अगर दागी है फेंको |
हों मुर्गी के ठाठ, रास्ता मत ही छेंको | 

अब सत्ता की *पोच, बना देंगे ये अंडे |
नमो नमो का मन्त्र, जपें क्यूंकि बरबंडे -

*आमलेट की तरह का एक अंडा डिश  


जीवन की संजीवनी, है हौंसला अदम्य |
दूर-दृष्टि हो प्रभु कृपा, पाए लक्ष्य अगम्य ||


In Depth Fodder Scam Lalu Prasad Convicted Time Line Fodder Scam


SM


गौशाले में गाय खुश, बछिया दिखे प्रसन्न |

बछिया के ताऊ खफा, छोड़ बैठते अन्न |

छोड़ बैठते अन्न, सदा चारा ही खाया |

पर निर्णय आसन्न, जेल उनको पहुँचाया |

करते गधे विलाप, फायदा लेने वाले |

चारा पाती गाय, हुई रौनक गौशाले ||




दोहे/ प्रेम

देह नेह दुःख गेह है, किंचित नहिं संदेह |
आशा करते मेह की, खा ओले *अवलेह ||

*चटनी 

कुलवंत हैप्‍पी 

वारे न्यारे कब किये, कब का चारा साफ़ |
पर कोई चारा नहीं, कोर्ट करे ना माफ़ |

कोर्ट करे ना माफ़, दिखे करनी सी भरनी |
गौशाला आबाद, ,पार करले वैतरणी |

फटता अध्यादेश, कहाँ अब जाय पुकारे |
गैयों में आनंद, विलापें गधे दुवारे  |




2 comments:

  1. गांधी जयन्ती बधाई हो...महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी को नमन।
    बहुत सुन्दर आभार

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  2. धन्‍यवाद रवि‍कर जी , कार्टून को भी चर्चा में सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए

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